Tuesday, June 2, 2020

DivinePlay Of GodKabir


         कबीरपरमेश्वर सशरीर सतलोक गए
कबीर परमेश्वर ने अनेक लीलाये की पृथ्वी पर ओर सतभक्ति ओर तत्वज्ञान का प्रचार किया.....
आदरणीय गरीब दास जी ने परमात्मा कबीर साहेब की मगहर लीला का वर्णन करते हुए कहा था कि......
         देखा मगहर जहुरा सतगुरु,
         काशी में कीर्ति कर चाले,
               झिलमिल देही नूरा हों

 बार परमात्मा कबीएकर साहेब जी जब 5 वर्ष की आयु के थे उस समय उन्होंने 104 वर्ष की आयु के रामानंद जी के साथ ज्ञान चर्चा की, उनके साथ कई लीलाएं की, अपना परिचय करवाया तथा सतलोक दिखाया तब रामानंद जी को दृढ़ विश्वास हुआ कि कबीर साहिब ही सृष्टि रचनहार पूर्ण ब्रह्म हैं।

एक बार द्रौपदी ने अंधे महात्मा को अपनी साड़ी के कपड़े में से टुकड़ा दिया था क्योंकि अंधे महात्मा की कोपीन पानी में बह गई थी। साधु ने आशीर्वाद अनंत चीर पाने का आशीर्वाद दिया। कबीर परमात्मा ने चीरहरण में द्रौपदी का चीर बढ़ाकर लाज बचाई।
गरीब, पीतांबर कूं पारि करि, द्रौपदी दिन्हीं लीर।
अंधे कू कोपीन कसि, धनी कबीर बधाये चीर।।
नीरू को धन प्राप्ति

मीरा बाई को शरण में लेना
मीरा बाई पहले श्री कृष्ण जी की पूजा करती थी। एक दिन संत रविदास जी तथा परमात्मा कबीर जी का सत्संग सुना तो पता चला कि श्री कृष्ण जी नाशवान हैं। समर्थ अविनाशी परमात्मा अन्य है। संत रविदास जी को गुरू बनाया। फिर अंत में कबीर जी को गुरू बनाया। तब मीरा बाई जी का सत्य भक्ति बीज का बोया गया।
गरीब, मीरां बाई पद मिली, सतगुरु पीर कबीर।
देह छतां ल्यौ लीन है, पाया नहीं शरीर।।
संत गरीबदास जी को शरण में लेना



धर्मदास को सदमार्ग दिखाना
भक्त धर्मदास जी बांधवगढ़ के धनी सेठ थे। देवी तथा
शिव-पार्वती की पूजा, तीर्थों व धामों पर जाकर स्नान करना आदि शास्त्रविरूद्ध साधना किया करता था। 
धर्मदास जी जब तीर्थ यात्राओं पर निकले तो परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के वेश में उन्हें मिले और बार-बार ज्ञान की चोट की, सतलोक के दर्शन कराए और अपनी शरण में लिया।

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