हे भगवान् तेरी बनाई यह धरती , कितनी सुन्दर है
नए – नए और तरह – तरह के पेड़ पौधे, बाग बगीचे, इसकी सौन्दर्यता का वर्णन नही किया जा सकता है।
मन को बहुत ही मनोरम करती है प्रकति की सौन्दर्यता
प्राकृतिक आपदाओ का समाधान
आपदा तो अपने सुना ही होगा,,, और फिर प्राकर्तिक आपदा, नाम सुनकर अंदाज़ लगाया जा सकता है ,,,
प्रकर्ति ने हमे बहुत कुछ दिया है,, बहुत सुन्दर उपहार दिया, खाने को मीठे फल, रहने को स्वच्छ वातावरण, मीठा और शीतल जल।।
और क्या कहूं, कुछ बया नही कर सकते भगवान की बनाई इस श्रष्टि का।।।
👉 प्राकृतिक आपदा से क्या आशय है?✍️✍️✍️
एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप, या भूस्खलन (landslide) जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। ... बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं, इसके फलस्वरूप प्राकृतिक शब्द को विवादित बताया गया है। .
:-👉🏻 प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर पड़ता है असर
उन्होंने बताया कि ज्वालामुखी, भूकम्प, सुनामी, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण जन जीवन के साथ पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उसे सामान्य होने में लम्बा समय लगता है। बदले पर्यावरण में खुद को ढालने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
प्रकर्ति का भी अनमोल चक्र है।।।
कही धूप, कही छाव, वही कही ठंड, कही गर्मी।
कही जल ही जल, कही सुंदर फुलवारी,
कही मनोहरम दृश्य , तो कही सुंदर घटिया।।
जब कभी इस प्रकर्ति पर आपदा आती है तो , सारा वातावरण ही बदल जाता है , कभी भूकंप आ जाता है, कही बाढ़ आ जाती है , तो कही पर सूखा भी पड़ जाता है।
प्रकर्ति का भी बहुत अनमोल दृश्य मन को भा जाता है। लेकिन जब बाद में पीड़ित लोगों को देखा जाये तो मन मे अजीब सी सिरहन उठ जाती है,, आखिर ऐसे सुंदर वातावरण तुरंत ही कैसे आपदा में बदल जाता है?
किसी ने सही कहा है :--
कलयुग में अपराध का
बढ़ा अब इतना प्रकोप
आज फिर से काँप उठी
देखो धरती माता की कोख !!
समय समय पर प्रकृति
देती रही कोई न कोई चोट
लालच में इतना अँधा हुआ
मानव को नही रहा कोई खौफ !!
सच तो ये ही है कि हम इस प्रकृति की महिमा और सौंदर्य को देख पाते है लेकिन ये पता लगाने की कोसिस नही करते कि आखिर ये होता क्यों है??
क्या कोई बड़ी शक्ति हैं जो हम सबको वापिस प्रकृति में मिला देती हैं ,इसकी आपदा के साथ।।
सब कुछ बहुत अच्छा और सुंदर है।।
लेकिन आपदा आयी और सबकी जान खतरे में पड जाती है, मनुष्य , पशु ,पक्षि सभी काल के ग्रास बन जाते है, सुंदर प्रकर्ति विकराल रूप धारण कर लेती है।
कही बाढ़, कही पर सूखा
कभी महामारी का प्रकोप
यदा कदा धरती हिलती
फिर भूकम्प से मरते बे मौत !!
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे
चढ़ गए भेट राजनितिक के लोभ
वन सम्पदा, नदी पहाड़, झरने
इनको मिटा रहा इंसान हर रोज !!
सबको अपनी चाह लगी है
नहीं रहा प्रकृति का अब शौक
“धर्म” (भक्ति करे) करे जब बाते जनमानस की
दुनिया वालो को लगता है जोक !!
👉👉तीसरी बात हम आपको ये बताना चाह रहे है कि इन आपदाओं से कैसे बचा जाये??
ये तो अपने सुना ही होगा न कि भगवान है?और है तो वो अपना काम भी करता है, यानी कि पूरी प्रकर्ति की देख रेख करता है।।
अभी ये अंत नहीं है . यहाँ तक की ये अंत की शुरआत भी नहीं है, बल्कि शायद ये शुरआत का अंत है......
जिन्होंने पूरी श्रष्टि बना दी वो उसमे होने वाली आपदा को भी बचा सकता है,
जानिए:-----
👍 कर्मों का लेखा जोखा ही तय करता है स्वर्ग और नरक,
अच्छे कर्मों से ही मिलता है मोक्ष और परमानंद।
यह तय है इस शरीर को छोड़ जाना है एक दिन,
मोक्ष ही तो है परमात्मा और आत्मा का मिलन।
परमात्मा खुद चुनते है उस पवित्र आत्मा को,
होता है सौभाग्य खुद को मुक्त कर लेना इस बंधन से।
अब भी अनमोल समय है इस जीव आत्मा को पार होने का।
आ गए है पवित्र धरा पर ,धरा को बनाने वाले।
वो ही है सब आपदाओं से बचाने वाले।
बन्दी छोड़ है उनका नाम, सब पाप कर्मो को जलाएंगे।
सच्चा ज्ञान देकर हमे , वो सतलोक ले जाएंगे।।
वह मशीहा , तारणहार, सबके मालिक, जो कि पूरी पृथ्वी को बना कर छोड़ दिया, आज वही मशीहा पूरे विश्व के कल्याण के लिए आये है ,,
जी हां::-- वो ही तो है, बन्दी छोड़ तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
आओ और अपना कल्याण करवाओ।
सारी आपदाओं से से छुटकारा दिलवाकर, कल्याण का मार्ग अपनाओ।www.jags
नए – नए और तरह – तरह के पेड़ पौधे, बाग बगीचे, इसकी सौन्दर्यता का वर्णन नही किया जा सकता है।
मन को बहुत ही मनोरम करती है प्रकति की सौन्दर्यता
प्राकृतिक आपदाओ का समाधान
आपदा तो अपने सुना ही होगा,,, और फिर प्राकर्तिक आपदा, नाम सुनकर अंदाज़ लगाया जा सकता है ,,,
प्रकर्ति ने हमे बहुत कुछ दिया है,, बहुत सुन्दर उपहार दिया, खाने को मीठे फल, रहने को स्वच्छ वातावरण, मीठा और शीतल जल।।
और क्या कहूं, कुछ बया नही कर सकते भगवान की बनाई इस श्रष्टि का।।।
👉 प्राकृतिक आपदा से क्या आशय है?✍️✍️✍️
एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप, या भूस्खलन (landslide) जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। ... बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं, इसके फलस्वरूप प्राकृतिक शब्द को विवादित बताया गया है। .
:-👉🏻 प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर पड़ता है असर
उन्होंने बताया कि ज्वालामुखी, भूकम्प, सुनामी, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण जन जीवन के साथ पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उसे सामान्य होने में लम्बा समय लगता है। बदले पर्यावरण में खुद को ढालने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
प्रकर्ति का भी अनमोल चक्र है।।।
कही धूप, कही छाव, वही कही ठंड, कही गर्मी।
कही जल ही जल, कही सुंदर फुलवारी,
कही मनोहरम दृश्य , तो कही सुंदर घटिया।।
जब कभी इस प्रकर्ति पर आपदा आती है तो , सारा वातावरण ही बदल जाता है , कभी भूकंप आ जाता है, कही बाढ़ आ जाती है , तो कही पर सूखा भी पड़ जाता है।
प्रकर्ति का भी बहुत अनमोल दृश्य मन को भा जाता है। लेकिन जब बाद में पीड़ित लोगों को देखा जाये तो मन मे अजीब सी सिरहन उठ जाती है,, आखिर ऐसे सुंदर वातावरण तुरंत ही कैसे आपदा में बदल जाता है?
किसी ने सही कहा है :--
कलयुग में अपराध का
बढ़ा अब इतना प्रकोप
आज फिर से काँप उठी
देखो धरती माता की कोख !!
समय समय पर प्रकृति
देती रही कोई न कोई चोट
लालच में इतना अँधा हुआ
मानव को नही रहा कोई खौफ !!
सच तो ये ही है कि हम इस प्रकृति की महिमा और सौंदर्य को देख पाते है लेकिन ये पता लगाने की कोसिस नही करते कि आखिर ये होता क्यों है??
क्या कोई बड़ी शक्ति हैं जो हम सबको वापिस प्रकृति में मिला देती हैं ,इसकी आपदा के साथ।।
सब कुछ बहुत अच्छा और सुंदर है।।
लेकिन आपदा आयी और सबकी जान खतरे में पड जाती है, मनुष्य , पशु ,पक्षि सभी काल के ग्रास बन जाते है, सुंदर प्रकर्ति विकराल रूप धारण कर लेती है।
कही बाढ़, कही पर सूखा
कभी महामारी का प्रकोप
यदा कदा धरती हिलती
फिर भूकम्प से मरते बे मौत !!
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे
चढ़ गए भेट राजनितिक के लोभ
वन सम्पदा, नदी पहाड़, झरने
इनको मिटा रहा इंसान हर रोज !!
सबको अपनी चाह लगी है
नहीं रहा प्रकृति का अब शौक
“धर्म” (भक्ति करे) करे जब बाते जनमानस की
दुनिया वालो को लगता है जोक !!
👉👉तीसरी बात हम आपको ये बताना चाह रहे है कि इन आपदाओं से कैसे बचा जाये??
ये तो अपने सुना ही होगा न कि भगवान है?और है तो वो अपना काम भी करता है, यानी कि पूरी प्रकर्ति की देख रेख करता है।।
अभी ये अंत नहीं है . यहाँ तक की ये अंत की शुरआत भी नहीं है, बल्कि शायद ये शुरआत का अंत है......
जिन्होंने पूरी श्रष्टि बना दी वो उसमे होने वाली आपदा को भी बचा सकता है,
जानिए:-----
👍 कर्मों का लेखा जोखा ही तय करता है स्वर्ग और नरक,
अच्छे कर्मों से ही मिलता है मोक्ष और परमानंद।
यह तय है इस शरीर को छोड़ जाना है एक दिन,
मोक्ष ही तो है परमात्मा और आत्मा का मिलन।
परमात्मा खुद चुनते है उस पवित्र आत्मा को,
होता है सौभाग्य खुद को मुक्त कर लेना इस बंधन से।
अब भी अनमोल समय है इस जीव आत्मा को पार होने का।
आ गए है पवित्र धरा पर ,धरा को बनाने वाले।
वो ही है सब आपदाओं से बचाने वाले।
बन्दी छोड़ है उनका नाम, सब पाप कर्मो को जलाएंगे।
सच्चा ज्ञान देकर हमे , वो सतलोक ले जाएंगे।।
वह मशीहा , तारणहार, सबके मालिक, जो कि पूरी पृथ्वी को बना कर छोड़ दिया, आज वही मशीहा पूरे विश्व के कल्याण के लिए आये है ,,
जी हां::-- वो ही तो है, बन्दी छोड़ तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
आओ और अपना कल्याण करवाओ।
सारी आपदाओं से से छुटकारा दिलवाकर, कल्याण का मार्ग अपनाओ।www.jags
कलियुग में सतयुग आएगा
धरती होगी स्वर्ग समान। विश्वमें शांति लाएगा तत्वज्ञान
संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से
सुखी होगा इंसान, पृथ्वी बनेगी स्वर्ग समान।
प्राकृतिक आपदाओं का भी होगा नाश।
प्रदूषण की समस्या होगी दूर।
रोगियों के रोग होंगे दूर।
स्वस्थ तन व स्वस्थ मन होगा।
जती सती स्त्री-पुरुष होंगे।
मानव धर्म सर्वोपरी होगा।
For more information must watch sadhana chainal 7.30pm daily
&
Must know
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Important knowledge of real culture & god given nature👍👍
ReplyDeleteNice line
Like & love so much this God's nature
Thanks ji
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