Sunday, May 31, 2020

52_Cruelities_On_GodKabir

             5जून कबीर प्रकट दिवस
                   
 कबीर परमेश्वर ने बहुत अद्धभुत लीला की अपने जीवन काल मे जिससे उनकी महिमा होने लगी चारो ओर,इस कारण उस समय के धर्मगुरु ओर बादशाह लोग चिढ़ने लग गए और कबीर साहिब को मारने के लिए कई षडयंत्र रचे
मुस्लिम धर्म का एक शेखतकी सिकन्दर लोदी का धर्मगुरु था उसने बहुत कोशिश की कबीर जी को मरवाने की 52 बार हथकण्डे अपनाये पर निष्फल रहा।
कबीर जी तो समर्थ भगवान थे उनको कौन मार सकता हैं,अविनासी परमात्मा है।


परमात्मा कबीर जी की महिमा से अनजान दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी ने गर्भवती गाय के दो टुकड़े किये और कबीर जी से उसे जिंदा करने के लिए कहा। परमेश्वर कबीर जी ने बच्चे और गाय दोनों को तुरंत जिंदा कर दिया।

जीवन रक्षक भगवान कबीर
परमात्मा अपने भक्तों की आयु भी बढ़ा देता है । प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 और
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ने लाखों लोगों के बीच में एक मरे हुए लड़के को जिंदा कर दिया था। लोगों ने कहा कबीर जी ने कमाल कर दिया। इसलिए कबीर साहेब ने उस लड़के का नाम कमाल रख दिया था।

सर्वशक्तिमान परमात्मा कबीर साहेब हैं
 वेदों में प्रमाण है कि कबीर परमात्मा अपने साधक के हर संकटों को एक क्षण में दूर कर सकता है।
परमात्मा उसी को कहते हैं जो साधक के सर्व पाप नाश करके उसकी आयु बढ़ा सके। ऐसा केवल कबीर परमात्मा ही कर सकते हैं क्योंकि वही समर्थ परमात्मा हैं।
 जिसका प्रमाण सभी धर्म शास्त्रों में है और वह परमात्मा अपने साधक के हर संकटों को एक क्षण में दूर कर सकता है।

कबीरपरमेश्वर_के_साथ_52बदमाशी 
की शेखतकी ने ओर अनेक षडयंत्र रचे उनको मारने के लिए।
राजा सिकंदर लोधी द्वारा ढेरो परीक्षा लेने पर जब समर्थ भगवान कबीर जी का बाल भी बाका नहीं हुआ तो, सिकंदर लोधी ने कहा था-
"आप कबीर अल्लाह हैं, बख्सो इबकी बार। दासगरीब शाह कुं, अल्लाह रूप दीदार।।"

हे कबीर जी आप वास्तव में अल्लाह हो। मुझे क्षमा करो।



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Saturday, May 30, 2020

🌹कबीर प्रकट दिवस :-5 जून 🌹


      मगहर में लीला कबीर परमेश्वर की
कबीर जी का काशी में कमल के फूल पर प्रकट होना फिर अंतिम समय मे सशरीर सतलोक जाना
                  सशरीर आते हैं वो पूर्ण परमात्मा
            राम और अल्लाह एक ही हैं!
600 साल पहले कबीर साहेब ने मगहर में शरीर छोड़ने से पहले सभी लोगो को अपना ज्ञान समझाते हुए कहा कि राम और अल्लाह एक ही हैं सभी धर्मों के लोग एक परमपिता की संतान है।
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कबीर परमेश्वर अनेक लीला करते हुए बड़े होते हैं
ओर अपने जीवनकाल में बहुत सी लीला करते हैं
मगहर में परमात्मा का चमत्कार!
कबीर परमेश्वर जी के अद्भुत चमत्कार जैसे अकाल से बचाना, सूखी आमी नदी बहाना, सशरीर सतलोक जाना आदि देखकर तथा उनके‌ द्वारा दिए तत्वज्ञान का‌ अनुसरण करके मगहर के सर्व हिंदू-मुसलमान आज भी विशेष प्रेम से रहते हैं। आज तक उनकी धर्म के नाम पर कोई लड़ाई नहीं हुई।

अन्तिम समय मे मगहर की लीला
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मगहर में भाईचारे की मिसाल!
हिन्दू व मुसलमानों के बीच धार्मिक सामंजस्य और भाईचारे की जो विरासत कबीर परमात्मा छोड़कर गए हैं उसे मगहर में आज भी जीवंत रूप में देखा जा सकता है।
मगहर में जहाँ कबीर परमेश्वर जी सशरीर सतलोक गए थे, वहां हिंदू-मुसलमानों के मंदिर और मजार 100-100 फुट की दूरी पर बने हुए हैं।
"कबीर, विहंसी कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।"
मगहर लीला
आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने परमात्मा कबीर साहेब की मगहर लीला(सशरीर सतलोक गमन) का वर्णन करते हुए कहा है कि,
"देख्या मगहर जहूरा सतगुरु, कांशी मैं कीर्ति कर चाले, झिलमिल देही नूरा हो।।

कबीर, क्या काशी क्या ऊसर मगहर, राम हृदय बस मोरा।
जो कासी तन तजै कबीरा, रामे कौन निहोरा।।
मगहर में मरने वाला गधा बनता है इस भ्रम का खंडन करते हुए कबीर परमात्मा ने बताया कि जिसके हृदय में परमात्मा का वास हैं वह चाहे काशी में मरे या मगहर में उसकी मुक्ति निश्चित है।
यदि काशी में तन छोड़ने से मुक्ति होती है तो भगवान को भजने की क्या आवश्यकता थी?

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Wednesday, May 20, 2020

Natural disaster

हे भगवान् तेरी बनाई यह धरती , कितनी  सुन्दर है
नए – नए और तरह – तरह के पेड़ पौधे, बाग बगीचे, इसकी सौन्दर्यता का वर्णन नही किया जा सकता है।
मन को बहुत ही मनोरम करती है प्रकति की सौन्दर्यता
   
           प्राकृतिक आपदाओ का समाधान

आपदा तो अपने सुना ही होगा,,, और फिर प्राकर्तिक आपदा, नाम सुनकर अंदाज़ लगाया जा सकता है ,,,

प्रकर्ति ने हमे बहुत कुछ दिया है,, बहुत सुन्दर उपहार दिया, खाने को मीठे फल, रहने को स्वच्छ वातावरण, मीठा और शीतल जल।।
और क्या कहूं, कुछ बया नही कर सकते भगवान की  बनाई इस श्रष्टि का।।।



👉 प्राकृतिक आपदा से क्या आशय है?✍️✍️✍️

एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप, या भूस्खलन (landslide) जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। ... बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं, इसके फलस्वरूप प्राकृतिक शब्द को विवादित बताया गया है। .


:-👉🏻 प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर पड़ता है असर

उन्होंने बताया कि ज्वालामुखी, भूकम्प, सुनामी, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण जन जीवन के साथ पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उसे सामान्य होने में लम्बा समय लगता है। बदले पर्यावरण में खुद को ढालने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।




प्रकर्ति का भी अनमोल चक्र है।।।
कही धूप, कही छाव, वही कही ठंड,  कही गर्मी।
कही जल ही  जल, कही सुंदर फुलवारी,
कही मनोहरम दृश्य , तो कही सुंदर घटिया।।

जब कभी इस प्रकर्ति पर आपदा आती है तो , सारा वातावरण ही बदल जाता है ,  कभी भूकंप आ जाता है, कही बाढ़ आ जाती है , तो कही पर सूखा भी पड़ जाता है।

प्रकर्ति का  भी बहुत अनमोल दृश्य मन को भा जाता है। लेकिन जब बाद में पीड़ित लोगों को देखा जाये तो मन मे अजीब सी सिरहन उठ जाती है,, आखिर ऐसे सुंदर वातावरण तुरंत ही कैसे आपदा में बदल जाता है?

किसी ने सही कहा है :--
कलयुग में अपराध का
बढ़ा अब इतना प्रकोप
आज फिर से काँप उठी
देखो धरती माता की कोख !!
समय समय पर प्रकृति
देती रही कोई न कोई चोट
लालच में इतना अँधा हुआ
मानव को नही रहा कोई खौफ !!
सच तो ये ही है कि हम इस प्रकृति की महिमा और सौंदर्य को देख पाते है लेकिन ये पता लगाने की कोसिस नही करते कि आखिर ये होता क्यों है??
क्या कोई बड़ी शक्ति हैं जो हम सबको वापिस प्रकृति में मिला देती हैं ,इसकी आपदा के साथ।।


सब कुछ बहुत अच्छा और सुंदर  है।।
लेकिन आपदा आयी और सबकी जान खतरे में पड जाती है, मनुष्य , पशु ,पक्षि सभी काल के ग्रास बन जाते है, सुंदर प्रकर्ति विकराल रूप धारण कर लेती है।

कही बाढ़, कही पर सूखा
कभी महामारी का प्रकोप
यदा कदा धरती हिलती
फिर भूकम्प से मरते बे मौत !!
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे
चढ़ गए भेट राजनितिक के लोभ
वन सम्पदा, नदी पहाड़, झरने
इनको मिटा रहा इंसान हर रोज !!
सबको अपनी चाह लगी है
नहीं रहा प्रकृति का अब शौक
“धर्म” (भक्ति करे) करे जब बाते जनमानस की
दुनिया वालो को लगता है जोक !!



👉👉तीसरी बात हम आपको ये बताना चाह रहे है कि इन आपदाओं से कैसे बचा जाये??

ये तो अपने सुना ही होगा न कि भगवान है?और है तो वो अपना काम भी करता है, यानी कि पूरी प्रकर्ति  की देख रेख करता है।।

अभी ये अंत नहीं है . यहाँ तक की ये अंत की शुरआत भी नहीं है, बल्कि शायद ये शुरआत का अंत है......

जिन्होंने पूरी श्रष्टि बना दी वो उसमे होने वाली आपदा को भी बचा सकता है,

जानिए:-----


👍 कर्मों का लेखा जोखा ही तय करता है स्वर्ग और नरक,
अच्छे कर्मों से ही मिलता है मोक्ष और परमानंद।

यह तय है इस शरीर को छोड़ जाना है एक दिन,
मोक्ष ही तो है परमात्मा और आत्मा का मिलन।


परमात्मा खुद चुनते है उस पवित्र आत्मा को,
होता है सौभाग्य खुद को मुक्त कर लेना इस बंधन से।
 अब भी अनमोल समय है इस जीव आत्मा को पार होने का।


आ गए है पवित्र धरा पर ,धरा को बनाने  वाले।
वो ही है सब आपदाओं से बचाने वाले।
बन्दी छोड़ है उनका नाम, सब पाप कर्मो को जलाएंगे।
सच्चा ज्ञान देकर हमे , वो सतलोक ले जाएंगे।।

वह मशीहा , तारणहार, सबके मालिक, जो कि पूरी पृथ्वी को बना कर छोड़ दिया, आज वही मशीहा पूरे विश्व के कल्याण के लिए आये है ,,

जी हां::-- वो ही तो है, बन्दी छोड़ तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज


आओ और अपना कल्याण करवाओ।
सारी आपदाओं से से छुटकारा दिलवाकर, कल्याण का मार्ग अपनाओ।www.jags


कलियुग में सतयुग आएगा
धरती होगी स्वर्ग समान। विश्वमें शांति लाएगा तत्वज्ञान
संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से
सुखी होगा इंसान, पृथ्वी बनेगी स्वर्ग समान।
प्राकृतिक आपदाओं का भी होगा नाश।
प्रदूषण की समस्या होगी दूर।
रोगियों के रोग होंगे दूर।
स्वस्थ तन व स्वस्थ मन होगा।
जती सती स्त्री-पुरुष होंगे।
मानव धर्म सर्वोपरी होगा।
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Thursday, May 14, 2020

Environment Protection

              पर्यावरण और प्रकृति में सम्बंध
प्रकृति स्वभाव से ही प्राणियों की सहचरी रही है। प्रकृति -सौन्दर्य ईश्वरीय सृष्टि की अलौकिक, अद्धभुत, अंनत, असीम तथा विलक्षण कला हैं।प्रकृति-सौन्दर्य वर्णनातीत हैं।
"उषा सुनहरे तीर बरसती, जय लक्ष्मी-सी उदित हुई।"


जब से मनुष्य ने विज्ञान की शक्ति पाकर प्रकृति से छेड़छाड़ प्रारम्भ की तथा उसका दोहन किया, तभी से वह प्राकृतिक सुखों से वंचित होता गया।अपने अहंकार, दंभ तथा अभिमान के कारण वह स्वयं को सर्वशक्तिमान समझने लगा और प्रकृति के तत्वों पर विजयश्री की कल्पना करने लगा।जब से उसने प्रकृति का आँचल छोड़ा और विज्ञान का दामन थामा, तभी से वह अपने विनाश की खाई स्वयं खोदने लगा।
परन्तु वह भूल गया कि मूक दिखाई देने वाली प्रकृति की वक्र-दृष्टि सर्वनाश का कारण बन सकती है।आज जिस प्रकार चारो ओर पर्यावरण-प्रदूषण तथा प्राकृतिक असन्तुलन का दौर चल रहा है, रोगों में व्रद्धि होती जा रही है, उसका एकमात्र मानव की प्रकृति से छेड़छाड़ हैं।वनों की अंधाधुंध कटाईके कारण पर्वत-स्खलन, भू-क्षरण, बाढ़, बैमौसमी बरसात तथा पर्यावरण-प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण शहरों में रहने वाले लोगो का दम घुटता जा रहा है। औधोगिक प्रगति तथा प्रकृति से दूर होंते जाने के कारण सांस लेने के लिए शुद्ध वायु का भी अभाव हो गया है।
आज आवश्यकता इस बात की है कि मानव पुनः प्रकृति की ओर मुड़े,उसे अपनी सहचरी समझकर उसका सम्मान करें।विश्व के सभी देशों ने इसके परिप्रेक्ष्य में अपनी-अपनी मुहिम छेड़ दी है।आज विश्व भर में प्रदूषण से बचने तथा पर्यावरण की रक्षा का प्रयास किया जा रहा है। 5 जून को समूचे विश्व में "पर्यावरण-दिवस" मनाया जाता है। लेकिन फिर भी आज पर्यावरण की सुरक्षा नही हो पा रही है।
पर्यावरण की सुरक्षा

पर्यावरण की सुरक्षा से ही प्रदूषण की समस्या को सुलझाया जा सकता है।वन-रोपण तथा वृक्ष लगाने से यह समस्या कम हो सकती है। जनसंख्या-वृद्धि पर हमे अंकुश लगाना होगा।अणु, परमाणु परीक्षणो पर रोक लगानी होगी। रासायनिक पदार्थों का उपयोग कम करना होगा।शोर मचाने वाले यंत्रो, वाहनों पर नियंत्रण रखना होगा।यह प्रयास केवल एक व्यक्ति को ही नहीं बल्कि हम सबको मिलकर करना है ताकि युगों-युगों तक अस्तित्व बना रह सके।
यदि हम आध्यात्मिक ज्ञान की ओर बढ़े तो इन सारी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
आज सन्त रामपाल जी महाराज अपने तत्वज्ञान से एक स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं
उन्होंने विश्व से सारी बुराईयो को मिटाने के लिए बीड़ा उठाया है,उनका ज्ञान अनमोल मोतियों के समान है धरती होगी स्वर्ग समान। विश्व शांति लाएगा तत्वज्ञान
प्रदूषण की समस्या होगी दूर।
रोगियों के रोग होंगे दूर।
स्वस्थ तन व स्वस्थ मन होगा।
जती सती स्त्री-पुरुष होंगे।
मानव धर्म सर्वोपरी होगा।
संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से
सुखी होगा इंसान, पृथ्वी बनेगी स्वर्ग समान।
ईश्वर ने मनुष्य को अन्य प्राणियों की अपेक्षा विशेष विभूतियां देकर अपना सहायक बनाया है एवं सम्पूर्ण सृष्टि की देखभाल करने तथा सभी प्राणियों की रक्षा का दायित्व सौंपा है,परन्तु यह कितनी बड़ी विडम्बना है,कि रक्षक ही भक्षक बना हुआ है ?

अधिक जानकारी के लिए देखिये साधना चैनल 7.30pm डेली
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Wednesday, May 13, 2020

Atheists and believers

       नास्तिक ओर आस्तिक में क्या अंतर है
 आस्तिक:-जिसको ईश्वर में आस्था होती है जो भगवान को पूर्ण विस्वास के साथ मानता है कि परमात्मा है।
नास्तिक:-इसके विपरीत जो ईश्वर को नही मानता है ,भगवान को बिल्कुल ही नही मानता है,वह व्यक्ति नास्तिक बन जाता है।उसको किसी बात का भय भी नही होता है फिर वह इसी कारण अपराध करने लग जाता है।
नास्तिक क्यो बन जाते हैं लोग आखिर:-
सबसे पहला कारण अज्ञानता, जिसको ज्ञान नहीं होता है वह अज्ञानता में कुछ भी कर बैठता है और फिर। भौतिक शिक्षा का इतना प्रभाव हो गया मनुष्य पर  कि सब कुछ भूल बैठा है।
पहले के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैथे, भगवान से डरकर हर कार्य करते थे, आज सब कुछ विपरीत हो रहा है। इस भौतिक शिक्षा ने लोगो को बदल दिया है। इस कारण भी मनुष्य नास्तिक बन गया है, वह आज अपने सधग्रन्थों को भी नही मानता है।
शास्त्र विरुद्ध साधना से भी नास्तिक बन जाता है मनुष्य:- अन्ध श्रद्धा भक्ति के कारण भी लोग नास्तिक बन जाते है,क्योंकि जब तक सतभक्ति नही करता उसको कोई लाभ नही मिलता है। फिर वह सभी साधना करके थक जाता है ओर फिर वह नास्तिक बन जाता है,उसको पता नही रहता पूर्ण परमात्मा कौन हैं, किसकी भक्ति करनी चाहिए और कैसे करनी चाहिए।
सतभक्ति क्या है
सतभक्ति शास्त्रो अनुकूल की जाती है और सतभक्ति का सम्पूर्ण ज्ञान तत्वदर्शी सन्त ही बताया करता है
जो शास्त्र विरुद्ध साधना करते हैं उसके बारे में गीता में भी बताया गया है
आज हम जो साधनाएं कर रहे हैं वह सब गलत है गीता के अध्याय 16 के श्लोक 23 24 में बताया है कि जो साधक मनमानी पूजा करता है ना तो उसकी गति होती है ना कोई सुख मिलता है और ना ही मोक्ष प्राप्त करता है
वेदों में भी प्रमाण है


सतभक्ति से अद्धभुत लाभ

संत रामपाल जी महाराज सत्संग में बताते हैं कि शास्त्र विधि अनुसार सचे नाम का स्मरण करने से साधक के पाप ऐसे नष्ट हो जाते हैं जैसे कि सूखी घास में अग्नि लगने से वह नष्ट हो जाती है
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Friday, May 8, 2020

नशा करता है नाश

शराब के पीने से कैंसर जैसी भयानक बीमारियाँ होती हैं। इससे मनुष्य हरदम दुःखी होता है। नए नए रोग होते हैं नशे की वजह से।
किसी भी धर्म के पवित्र धर्मग्रंथों में शराब पीने का वर्णन नहीं है। फिर हम धर्म के विरुद्ध आचरण क्यों कर रहे हैं ?
सतभक्ति से शराब छूट सकती है।
आज संत रामपाल जी से उपदेश लेकर बहुत लोग शराब छोड़ चुके हैं और उनके परिवार में खुशहाली आई है।
शराब एक ऐसी खतरनाक बुराई है जो बसे बसाए खुशहाल परिवार को भी उजाड़ देती है, तथा धन व बल दोनों का नाश करती है।
शराबी व्यक्ति विचार करें
आज किसी की भी संतान उस समय बहुत गर्व महसूस करती है जब उसे अपने स्वावलंबी पिता का परिचय देना हो।
शराबी परिजन का परिचय देने में बच्चे हीन भावना का शिकार होते हैं।
शराब में ऐसा नशा है जो अनमोल मानव जीवन को बर्बाद कर देती है। सद्भगति में ऐसा नशा है जो मर्यादा में रहकर की जाए तो जीवन को आबाद कर देती है। फैसला आपको करना है।
नशा करने से नाश होता है। इसलिए पूर्ण संत के सत्संग सुनें जिससे ग्रह क्लेश भी समाप्त हो जाता है।
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Thursday, May 7, 2020

तत्वदर्शी सन्त की पहचान


पूर्ण सन्त के लक्षण
पूर्ण संत सर्व वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होता है।
दूसरे वह मन-कर्म-वचन से यानि सच्ची श्रद्धा से केवल एक परमात्मा समर्थ की भक्ति स्वयं करता है तथा अपने अनुयाईयों से करवाता है।
तीसरे वह सब अनुयाईयों से समान व्यवहार (बर्ताव) करता है।
चौथे उसके द्वारा बताया भक्ति
कर्म वेदों में वर्णित विधि के अनुसार होता है।
पूर्ण_सन्त के बिना मुक्ति नही हो सकती है।

संत गरीब दास जी कहते हैं-
साध हमारे सगे हैं, ना काहू को दोष।
जो सारनाम बतावहीँ, सो साधु सिर पोष।।
कृपया समय रहते पूर्ण संत की शरण में आएं।
कबीर, अक्षर पुरूष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार। तीनों देवा शाखा हैं, पात रूप संसार।।
जैसे पौधे को मूल की ओर से पृथ्वी में रोपण करके मूल की सिंचाई की जाती है तो
उस मूल परमात्मा (परम अक्षर ब्रह्म) की पूजा से पौधे की परवरिश होती है। सब तना, डार,
शाखाओं तथा पत्तों का विकास होकर पेड़ बन जाता है। छाया, फल तथा लकड़ी सर्व प्राप्त
होती है जिसके लिए पौधा लगाया जाता है। यदि पौधे की शाखाओं को मिट्टी में रोपकर
जड़ों को ऊपर करके सिंचाई करेंगे तो भक्ति रूपी पौधा नष्ट हो जाएगा। इसी प्रकार एक
मूल (परम अक्षर ब्रह्म) रूप परमेश्वर की पूजा करने से सर्व देव विकसित होकर साधक को
बिना माँगे फल देते रहेंगे।(जिसका वर्णन गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 में भी है) इस
प्रकार ज्ञान होने पर साधक का प्रयोजन उसी प्रकार अन्य देवताओं से रह जाता है जैसे
झील की प्राप्ति के पश्चात् छोटे जलाशय में रह जाता है। छोटे जलाशय पर आश्रित को ज्ञान
होता है कि यदि एक वर्ष बारिश नहीं हुई तो छोटे तालाब का जल समाप्त हो जाएगा। उस
पर आश्रित भी संकट में पड़ जाऐंगे। झील के विषय में ज्ञान है कि यदि दस वर्ष भी बारिश
न हो तो भी जल समाप्त नहीं होता। वह व्यक्ति छोटे जलाशय को छोड़कर तुरंत बड़े
जलाशय पर आश्रित हो जाता है। भले ही छोटे जलाशय का जल पीने में झील के जल जैसा
ही लाभदायक है, परंतु पर्याप्त व चिर स्थाई नहीं है। इसी प्रकार अन्य देवताओं (रजगुण
ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी) की भक्ति से मिलने वाले स्वर्ग का सुख
बुरा नहीं है, परंतु क्षणिक है, पर्याप्त नहीं है। इन देवताओं तथा इनके अतिरिक्त किसी भी
देवी-देवता, पित्तर व भूत पूजा करना गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15, 20 से 23 तथा
अध्याय 9 श्लोक 25 में मना किया है। इसलिए भी इनकी भक्ति करना शास्त्र विरूद्ध होने
से व्यर्थ है जिसका गीता अध्याय 16 श्लोक 23.24 में प्रमाण है। कहा है कि शास्त्र विधि को
त्यागकर मनमाना आचरण करने वालों को न तो सुख प्राप्त होता है, न सिद्धि प्राप्त होती
है और न ही परम गति यानि पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है अर्थात् व्यर्थ प्रयत्न है।(गीता
अध्याय 16 श्लोक 23)

कबीर,
एकै साधै सब सधै, सब साधें सब जाय। माली सींचे मूल कूँ, फलै फूलै अघाय।।
 पूर्ण_संत से नामदान लेकर परमात्मा की भक्ति करें तब ही इस लोक में शांति मिल सकती है और मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
सच्चा सतगुरु वो है जो हमारे सभी धर्मों के सदग्रन्थों से प्रमाणित ज्ञान व सतभक्ति देकर जन्म-मृत्यु से छुटकारा दिला दे।
सद्ग्रन्थों पर आधारित भक्ति केवल संत रामपाल जी महाराज ही बताते हैं।
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Wednesday, May 6, 2020

कोरोना वायरस का पूर्ण रूप से इलाज


         सतभक्ति से असाध्य रोगों का निवारण

जब विज्ञान खत्म होता है तब अध्यात्म ज्ञान शुरू होता है।
ऐसी आपदाओं में साइंस भी फेल हो जाती है। ऐसे जानलेवा रोगों से केवल सतभक्ति ही बचाव है।
चीन जैसे विकसित देश की ये हालत हो गयी तो सोचें अन्य देश का क्या होगा मांस खाने से। इससे बचने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी का तत्त्वज्ञान सुनना होगा।
ऑस्ट्रेलिया की आग को रोक नहीं सका विज्ञान।
कोरोना वायरस को भी रोकने में असमर्थ है अब चीन। आध्यात्मिक ज्ञान से ही आपदा टल सकती हैं।
आध्यात्मिक ज्ञान से जुड़ने के बाद बीमारियां नजदीक भी नहीं आती। संत रामपाल जी महाराज से जुड़कर लाखों लोग स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। आपसे अनुरोध है अपनी भक्ति विधि बदलिए हॉस्पिटल नहीं।
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Mobile and Society

                मोबाइल और समाज आज आपको यह बताने जा रही हूं की मोबाइल और समाज में क्या समानता और क्या भिन्नता है आखिर मोबाइल से समाज पर क्या ...