Wednesday, August 5, 2020

Mobile and Society

                मोबाइल और समाज



आज आपको यह बताने जा रही हूं की मोबाइल और समाज में क्या समानता और क्या भिन्नता है आखिर मोबाइल से समाज पर क्या और कैसे प्रभाव पड रहा है, मोबाइल भी एक अहम भूमिका निभाता है मानव जीवन में।

अब आपको एक वास्तविक और हकीकत से परिचित करवाना चाहते है मोबाइल से बहुत बड़े-बड़े काम आसानी से हो जाते हैं देश विदेशों तक व्यापारी अपने व्यापार की डील कर लेते हैं और भी अनेकों काम हो जाते हैं बाहर विदेश में बैठे या देश विदेश में बैठे लोग बाग अपने घर में बैठे परिवार वालों से बातचीत करके अपने मन को शांत और अच्छा महसूस कर लेते हैं,
एक तरफ तो मोबाइल से बहुत ही बड़े बड़े काम आसानी से हो रही है और दूसरी तरफ मोबाइल से बहुत ही बेकार और गंदे काम भी हो रहे हैं जो कि समाज को गिरावट की ओर ले जा रहा है,,

मोबाइल से होने वाले लाभ:---👉🏻👉🏻

1📱👉🏻 मोबाइल के जरिए देश विदेश तक बात की जा सकती है और हमें जो भी व्यापार करना है उसके बारे में जानकारी मिल जाती हैं,

2📱👉🏻 मोबाइल से घर परिवार के हाल-चाल पूछ कर हम अपने आप को अच्छा और शांत महसुस करते हैं।

3📱👉🏻  मोबाइल से हम किसी भी प्रकार की कोई जानकारी जो हमें हासिल करनी है वह प्राप्त कर सकते हैं।

4📱👉🏻 मोबाइल से हमें अकेलापन का महसूस नहीं होता है और हम इसके जरिए दिनचर्या को जारी रखते हैं ।

5📱👉🏻 मोबाइल से हमें जिस भी वस्तु की जानकारी लेनी होती है वह मिल जाता है और जो काम 1 महीने में होने वाला है वह काम 1 दिन में हो जाता है।


*आओ अब जानते हैं मोबाइल के लाभ के साथ-साथ समाज की संस्कृति और समाज के व्यवहार में किस प्रकार से गिरावट आ रही है.....*

👉🏻👉🏻👉🏻👉🏻

सुना तो होगा ही आपने की कि मोबाइल के व्यापार के साथ-साथ मोबाइल के रखने के साथ-साथ हमारी व्यवहारिक और हमारी संस्कृति में बहुत ही पतन और गिरावट हुआ है मोबाइल ने हमारी संस्कृति को बहुत ही खराब कर दिया है,,,,


मोबाइल से होने वाली हानिया:-

1📱👉🏻 मोबाइल से हमारी संस्कृति और व्यवहार पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है मोबाइल से अश्लीलता और हमारी संस्कृति में बहुत ही गिरावट आई है, 



2📱👉🏻 हमारी संस्कृति और सभ्यता को पतन की ओर ले जाने का काम भी मोबाइल का ही है मोबाइल के जरिए छोटे-छोटे बच्चे भी ना जाने गंदे और अभद्र वीडियो देख कर के अपने आप को मलिन और गंदा कर लेते हैं।

3📱👉🏻 प्राचीन काल में लोग बुरा करने से और बुरा सोचने से डरते थे !
लेकिन मोबाइल में लोग सारे दिन पिक्चर गंदी बातें सुन सुन कर के गंदे समाज को जन्म देकर के अपने आपके विचार गंदे करके किसी बात से ना डर के गंदे और मलिन काम करने लग गए हैं।

4📱👉🏻 मोबाइल ने समाज को एक तरीके से गंदगी का रूप दे दिया है हर प्रकार की गंदी और अभद्र बातें मोबाइल पर छोटे छोटे नन्हे मुन्ने बच्चे देख करके उसी प्रकार की हरकतें करने लग जाते हैं।



5📱👉🏻 सबसे अहम बात तो यह है कि आज मोबाइल जितना यूज़ हो रहा है वह अपने काम और सभ्यता संस्कृति के लिए नहीं बल्कि अश्लीलता फैलाने के और गंदे काम और अभद्र तरीके की वीडियो फैलाने का काम कर रहा है मोबाइल में नेट के जरिए लोग बाग बैठे बैठे सारे दिन गंदी बातें और बकवास सुन सुन कर के अपने आपको अपने विचारों को मलिन कर लेते हैं इससे भारतीय संस्कृति सभ्यता और उसकी प्रतिष्ठा पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है।





यदि हमारी देश की सभ्यता और संस्कृति को वापस से हमें  सूसभ्य बनाना है तो हमें मोबाइल का यूज कम और देश की संस्कृति पर ज्यादा ध्यान देना होगा:---



⌚ अब समय ज्यादा नहीं बचा है हमें इस बात पर गौर करना ही होगा देश की सभ्यता संस्कृति को उन्नत बनाना ही होगा इस पर ज्यादा ध्यान देना होगा इसलिए हमें मोबाइल का यूज बहुत कम जितना हम हमारे दैनिक जीवन मे काम आ जाए उतना ही करना है फालतू हमें मोबाइल का यूज ना करके इस जीवन को हमें भगवान की भक्ति और वास्तविक शब्द मूल मंत्र जो पूर्ण परमात्मा को पाने  के होते हैं उस पर ध्यान रख कर के हमें उस अल्लाह की इबादत करनी है जिससे हमारी सभ्यता और संस्कृति की सुंदरता और मनोरम का ज्यादा से ज्यादा बढ़ा सकते हैं।
।।।।।।
अंत में आपको हम यही बताना चाहेंगे कि यदि देश की सभ्यता और संस्कृति को बदलना है तो हमे सन्त रामपाल जी महाराज जी के आदर्शों और वचनों पर चलना ही होगा विश्व में सिर्फ एकमात्र संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ऐसे हैं जो इस देश की व्यवस्था संस्कृति और सभ्यता को दोबारा से उन्नत कर सकते हैं भारत को दोबारा से सोने की चिड़िया बना सकते क्योंकि हमने देखा है कि संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज जी के भगत संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़े हुए पुरुष या महिला जो भी है वह किसी प्रकार का नशा किसी प्रकार की किसी प्रकार से रूढ़िवादिता है उसको छोड़ देते हैं और  उनके द्वारा बताए गए मोक्ष मार्ग पर चल रहे हैं जो कि 
वास्तविक जीने की राह है।

Wednesday, July 15, 2020

Real freedom


असली स्वतंत्रता क्या है

स्वतंत्रता प्रत्येक प्राणी का जन्म सिद्ध अधिकार है
तुलसीदास ने कहा था
"पराधीन सपनेहुँ सुख नाही"

पराधीन में तो स्वपन में भी सुख नही है।पराधीनता तो किसी के लिए भी अभिशाप है।जब हमारा देश परतंत्र था, उस समय विश्व मे न हमारी इज्जत थी, न हमारा अपना झंडा था, न हमारा संविधान था। आज हम स्वतन्त्र  है, इसलिये सारे संसार में सिर ऊँचा करके चल सकते हैं।
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। इस दिन को पूरे देश मे एक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा, क्योकि इस दिन से हमको अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति मिली थी।
फिर लगा अब तो सुख से जीने की राह मिलेगी।
लेकिन क्या हम आज पूर्ण रूप से स्वंतन्त्र हैं....?
जिस देश मे बेरोजगारी हो।
जहाँ भ्र्ष्टाचार हो रहा हो।
आये दिन जनता पर जुल्म किये जाते है
जो निर्दोष है उनको सजा दी जाती है ओर जो अपराधी है उनको खुले आम छोड़ दिया जाता है
किसी के साथ भी कुछ भी हो जाये उसको न्याय तो क्या मिलेगा उस के साथ अच्छा व्यवहार भी ठीक से नही करते हैं अधिकारी लोग।
क्या यही देश की असली स्वतंत्रता हैं
जहाँ पर गरीब लोगों के साथ अन्याय पर अन्याय हो रहा हो।
विकास के नाम पर जनता पर ही कर लगा दिये जाते हैं क्या ये स्वतंत्रता हैं।
आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है । प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है । समाज में अनैतिकता , अराजकता और स्वार्थपरता का बोलबाला हो गया है । परिणामस्वरूप भारतीय संस्कृति और उसका पवित्र तथा नैतिक स्वरूप धुंधला 1 - सा हो गया है । इसका एक कारण समाज में फैल रहा भ्रष्टाचार भी है । भ्रष्टाचार के इस विकराल रूप को धारण करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इस अर्थप्रधान युग में प्रत्येक व्यक्ति धन प्राप्त करने में लगा हुआ है । मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ़ जाने के कारण वह उन्हें पूरी करने के लिए मनचाहे तरीकों को अपना रहा है । कमरतोड़ महँगाई भी इसका एक प्रमुख कारण है । हमें हमारे समाज में फन फैला रहे इस विकराल नाग को मारना होगा । सबसे पहले आवश्यक है प्रत्येक व्यक्ति के मनोबल को ऊँचा उठाना । यही नहीं शिक्षा में कुछ ऐसा अनिवार्य अंश जोड़ा जाए जिससे हमारी नई पीढ़ी प्राचीन संस्कृति तथा नैतिक प्रतिमानों को संस्कार स्वरूप लेकर विकसित हो । न्यायिक व्यवस्था को कठोर करना होगा तथा सामान्य जन को आवश्यक सुविधाएँ भी सुलभ करानी होंगी । इसी आधार पर आगे बढ़ना होगा तभी इस स्थिति में कुछ सुधार की अपेक्षा की जा सकती है । ये सब बदलाव तब ही होगा जब हम ईमानदारी से चलेंगे ओर भगवान से डरके हर कार्य करेगे।

पहले लोग धर्म के नाम पर केवल मानवीयता को महत्व देते थे पर आज धर्म के नाम पर भी लूट मची हुई है देश में इस कारण भी हम पराधीनता महसुस करते हैं सभी धर्म - संप्रदाय, मत और मजहब मानव - मात्र को ईश्वर - आस्था, सभी प्राणियों के प्रति स्नेह - भाव, उपकार, स्वार्थ त्याग और परस्पर प्रेम - भाव की शिक्षा देते हैं।  किसी भी धर्म और मजहब में नफरत, हिंसा, वैर - द्वेष आदि का पाठ नहीं पढ़ाया गया है।  सभी मनुष्य परमात्मा की संतान हैं और इसी कारण धर्म - संप्रदाय से परे मानवता के एक सूत्र में बंधे हैं इस मूल बात को कुछ लोग भूलकर धर्म के मिथ्या उन्माद में बहक जाते हैं और एक - दूसरे के मजहब को नीचा दिखाने के प्रयास करते हैं।  ऐसे ही लोग करते हैं जो धर्म के सच्चे स्वरूप को नहीं समझते हैं।  वास्तव में, व्यक्ति का अहंकार ही इस धार्मिक उन्माद का कारण बनता है।  हमारी उपासना और पूजा - पाठ के तरीके अलग हो सकते हैं, हम अपने आराध्य देव को अलग - अलग नामों से पुकार सकते हैं।  पर ये सभी उस परम तत्व परमात्मा तक पहुँचने के भिन्न - भिन्न मार्ग भर हैं, मंजिल तो सब की एक है।  धर्म तोड़ता नहीं संस्करण है।  संस्कृत में एक कथन है - 'धर्म: यो बाधते धर्म न स धर्म: कुधर्म तब' - अर्थात् वह धर्म नहीं कुधर्म है, जो दूसरे धर्म को बाधित करता है।  यही धर्म समभाव शायर इकबाल के इस शेर में ध्वनित होता है:
आज इन सब बुराइयों को दूर करने के लिए देश मे सिर्फ सन्त रामपाल जी महाराज ही एक ऐसे सन्त है,जो इन सब से छुटकारा दिला सकते हैं।
देश मे फिर से अमन शान्ति ला सकते है।
सन्त रामपाल जी महाराज भृष्टाचार मुक्त भारत तैयार कर रहे हैं। ओर भारत को फिर से सोने की चिड़िया बना रहे हैं।

संत रामपाल जी महाराज एक नए समाज को तैयार कर रहे हैं समाज में जो भी बुराइयां हैं उन को मिटा रहे हैं आप भी इन बुराइयों से बच सकते हैं।
आज कलयुग में बहुत सी बुराइयां फैली हुई है आए दिन लड़कियों के साथ दुराचार किया जाता है यदि हम सत भक्ति करके सदाचरण करेंगे तो यह अपने आप खत्म हो जाएगी और यह होगी सिर्फ और सिर्फ सत भक्ति   करने से और फिर धरती स्वर्ग जैसी बन जाएगी

आज दहेज के कारण कितनी लड़कियों की जान चली जाती है लड़कियां आत्महत्या तक कर लेती है इन सब से छुटकारा पाने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति करने से दूर हो जाएगी और मानव जीवन सुखी होगा
संत रामपाल जी महाराज मानव समाज की सभी बुराइयों को मिटाने के लिए एक समिति का गठन किया है जो आपको सहयोग तो करेगी ही साथ ही सत भक्ति भी होगी और मोक्ष मिलेगा

धरती को स्वर्ग बनाना है और यह काम तभी होगा जब हम सत भक्ति करेंगे पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज के अलावा कोई शक्ति नहीं बता सकता जो हमारे सद ग्रंथों में प्रमाणित है अधिक जानने के लिए जरूर देखें श्रद्धा टीवी पर प्रसारित होने वाला सत्संग 2:30 pm
अगर धरती को स्वर्ग बनाना है व सारे पापों से छुटकारा पाना है तो "जीने की राह"अवश्य पढ़ें जो इससे आपको सत भक्ति तो मिलेगी ही साथ ही आप का पूर्ण मोक्ष भी  होगा अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट पर जाकर देख सकते हो।
पूर्ण रूप से स्वतंत्र तो तब होंगे हम जब हमारा जन्म मरण का रोग कट जाएगा मतलब इस संसार से हमको मोक्ष का मार्ग मिल जाएगा तभी पूर्ण रूप से छुटकारा मिलेगा।ये सब सतभक्ति से ही होगा जो शास्त्रो अनुकूल हो ।

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Wednesday, July 8, 2020

राजनीति से समाज का नाश

राजनीति दो शब्दों का एक समूह है राज+नीति। (राज मतलब शासन और नीति मतलब उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने कि कला) अर्थात् नीति विशेष के द्वारा शासन करना या विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जनता के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर (सार्वजनिक जीवन स्तर)को ऊँचा करना राजनीति है । नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना,विधि बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। राजनीति का इतिहास अति प्राचीन है जिसका विवरण विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म ग्रन्थों में देखनें को मिलता है । राजनीति कि शुरूआत रामायण काल से भी अति प्राचीन है। महाभारत महाकाव्य में इसका सर्वाधिक विवरण देखने को मिलता है । चाहे वह चक्रव्यूह रचना हो या चौसर खेल में पाण्डवों को हराने कि राजनीति । अरस्तु को राजनीति का जनक कहा जाता है। आम तौर पर देखा गया है कि लोग राजनीति के विषय में नकारात्मक विचार रखते हैं , यह दुर्भाग्यपूर्ण है ,हमें समझने की आवश्यकता है कि राजनीति किसी भी समाज का अविभाज्य अंग है ।महात्मा गांधी ने एक बार टिप्पणी की थी कि राजनीति ने हमें सांप की कुंडली की तरह जकड़ रखा है , इससे जूझने के सिवाय कोई अन्य रास्ता नहीं है ।



साधारण भाषा मे कह सकते है कि राज्य की चलाने की नीति को राज्यनीति कहते है::::::------

प्राचीन काल में राजनीति एक धर्म के ऊपर आधारित होती थी सभी काम धार्मिकता से किए जाते थे , नैतिकता से किए जाते थे सभी प्रकार के विचारों को अच्छे से जाना जाता था उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाता था लेकिन वर्तमान समय कुछ उल्टा हो रहा है वर्तमान में कलयुग माहौल बन गया है लोग राजनीति को सिर्फ पैसे तक ही अहमियत देते हैं राजनीति को पैसे कमाने का एक साधन मात्र मान लिया है ।

राजनीति के चक्कर में लोग एक दूसरे को मार डालते हैं कत्लेआम कर देते हैं तो काट देते हैं राजनीति के चक्कर में यानी की कुर्सी के चक्कर में नेता लोग एक दूसरे को नीचा दिखा देते हैं मारने की धमकियां दे देते हैं प्राचीन काल की राजनीति आज की राजनीति में रात दिन का अंतर है वर्तमान की राजनीति में विष घुला हुआ है या यू समझो कि वर्तमान की राजनीति जहर घोलने का काम करती है लोग पैसे के चक्कर में एक दूसरे को मरवा डाल देते हैं प्राचीन काल की राजनीति में लोग भगवान से डरते थे ।
भगवान को मध्य नजर रखते हुए भगवान के कानून को भगवान के संविधान को याद रख कर के सारे फैसले लिये जाये तो समाज को वास्तविक विकास करते रहें लोगों को उन्नत बना सकते हैं गरीब लोगों को जिनके पास पैसे की कमी है उनके पास राशन की उचित व्यवस्था कर सकते है,लेकिन वर्तमान राजनीति में सब कुछ उल्टा हो गया है गरीब लोगों को पैसे ना दे करके अमीर लोगों को सब कुछ मिलता है।।

राजनीति एक धंधा रह गया है........😢

राजनीति सिर्फ एक घंटा मात्र बन गया लोग राजनीति इसलिए झुकते हैं क्योंकि ढेर सारे पैसे कमाएंगे जनता को लूटते हैं और उन पैसे को अपने घर में ऐसा मत करो सिर्फ राजनीति का ही काम है।



राजनीति की हानियां::::--

वर्तमान समय में राजनीति सिर्फ जनता को हानि पहुंचाती है इसमें सिर्फ अमीर लोगों को मुनाफा मिलता है गरीब लोगों को नुकसान मिलता है राजनीति फिर कमरे पर आ गई है सिर्फ नेताओं तक रह गई है नेता बहुमत लेकर के राजनीति ना करें फिर अपनी मनमानी करके जनता में भी बोलते हैं और अपने घर भर लेते हैं जनता के अंदर कोई लेना देना नहीं होता है राजनीति सिर्फ एक धंधा बन गया है।।।




विशेष :::
यदि हम भगवान के संविधान में रहकर के सारे काम करें तो तुम किसी को कोई भी नुकसान नहीं होगा सबको समान लाभ मिलेगा और सब भगवान से डर के काम करेंगे तो हमें इस देश को उन्नत होने की राहत मिलेगी भारत को वापस सोने की चिड़िया हम बना सकते हैं।

 हमारे अंदर नैतिकता और वास्तविक सद्भावना की जरूरत है इससे हम विश्व को मात दे सकते हैं और इस राजनीतिक शिष्टाचार से,राजनीतिक सद्भाव से अपने विचारों से अच्छे भाव से हम देश को वापस सोने की चिड़िया बना सकते हैं इसमें हम सिर्फ सिर्फ भगवान की भक्ति और भगवान से परिचित होना पड़ेगा।
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Wednesday, July 1, 2020

Dhram ka utthan

       धर्म का उत्थान 
    👇
बताना चाहूंगी आपको, अपने ही धर्म के बारे में।।।।

पहले हम सब एक थे,, फिर वापिस धर्म के नाम पर बंट गए,,,
आखिर क्यों????

बने रहे हमारे साथ, अंत तक, 
 पहले बहुत अच्छा समय था, 
सब प्यार से रहते थे,
 सब एक दूसरे से प्रेम भाव से रहते थे, 
आपसी मदद करते थे,
ना कोई जाति का , 
ना कोई पैसे का , 
ना कोई धर्म का ,
किसी प्रकार का भेदभाव नही था।।

हम सब एक ही भगवान के बच्चे थे , है और रहेगे।।



धीरे धीरे हमने एक दूसरे से दूरियां बनाना चालू कर दिया, इसका कारण था, आपसी भेदभाव।।
प्रचीन काल से हम अच्छे व्यवहार और अच्छे भक्ति भाव से रहते हुए आये है, एक ये भी कारण है कि हमे सच्चे संत ना मिलने के कारण हम धर्म के नाम पर बंटते जा रहे है।।


सच्चाई तो  ये है....✍️
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जीव हमारी जाती है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख,इसाई धर्म नही कोई न्यारा।।

लेकिन हम इससे हट कर चल रहे है , इसका कारण है, 
अज्ञान, 
अप्रमाणित भक्ति विधि, और 
शास्त्र अनुकूल भक्ति का ना होना!
तत्वज्ञान का ना होना!

पूर्ण परमात्मा का ज्ञान ना होना!
सत्य ज्ञान से परिचित ना होना!

भारत हमेशा से ही विश्व गुरु, और संतो की भूमि रहा है।।।
इसलिए इसे "सोने की चिड़िया" का नाम मिला है...


जानिए अब....👇
आज हमारे बीच इस कदर फूट डाल दी गई है कि अब मुश्किल है यह समझना कि हिंदू या मुसलमान, दलित या ब्राह्मण कोई और नहीं यह उनका अपना ही खून है और वह अपने ही खून के खिलाफ क्यों हैं? आज मुगलों और अंग्रेजों की सच्चाई बताना गुनाह माना जाता है। वे लोग तो चले गए लेकिन हमारे बीच ही फर्क डालकर चले गए।

ग्रंथों के साथ छेड़खानी :---
 प्राचीन काल में धर्म से संचालित होता था राज्य। हमारे धर्म ग्रंथ लिखने वाले और समाज को रचने वाले ऋषि-मुनी जब विदा हो गए तब राजा और पुरोहितों में सांठगाठ से राज्य का शासन चलने लगा। धीरे-धीरे अनुयायियों की फौज ने धर्म को बदल दिया। बौद्ध काल ऐसा काल था, जबकि हिन्दू ग्रंथों के साथ छेड़खानी की जाने लगी। फिर मुगल काल में और बाद में अंग्रेजों ने सत्यानाश कर दिया। अंतत: कहना होगा की साम्यवादी, व्यापारिक और राजनीतिक सोच ने बिगाड़ा धर्म को।


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अंग्रेजों का काल :--
 यह ऐसा काल था जबकि अंग्रेज भारत पर शासन करना चाहते थे। इसमें 'बांटो और राज करो' के सिद्धांत का बड़ा योगदान रहा जो ब्रिटेन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति भी करता था।





इस प्रकार हमारे धर्म ग्रन्थों के छेड़छाड़,,,,
भेदभाव ।।।
और 
धर्म का कुप्रचार करके हमे बांटा गया।।
हमे एक भगवान, जो कि सबका मालिक एक है उससे  ज्ञान और भक्ति विधि से दूर रखा गया,
लेकिन सच्चाई हमेशा उजागर होके रहती है, देरी हो सकती है, लेकिन अंधेरा नही।।।
भारत की पवित्र भूमि पर समय समय पर, संतो का आगमन होता है, जो कि बढ़ते हुए अधर्म को कम करके मानव धर्म का उत्थान करने आते है।
वो अपने वास्तविक ज्ञान से परिचित करवाकर , कल्याण के मार्ग पर लगाते है,,
अज्ञान से ज्ञान की तरफ और
अंधरे से प्रकाश की तरफ ले जाते है,,,,,
वो सभी मे वापस वैसा ही ज्ञान और सदभाव भर देते है, भगवान की वास्तविक भक्ति विधि बताकर अच्छे संस्कार और अच्छे विचार भर देते है।।

दुबारा दौरा रही हूं
और
सही कहा गया है :::--

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जीव हमारी जाति है,मानव धर्म हमारा।
हिन्दू,मुस्लिम, सिख,ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।।

✍️✍️✍️✍️✍️

वर्तमान में  जगत गुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी ही पूरे विश्व को एक प्रमाणित ज्ञान के धागे में पिरो कर, सत्य के मार्ग पर सबको चलना सीखा रहे है।।।।।



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Wednesday, June 24, 2020

Real knowledge of God Kabir ji

🍁🌸।।कबीर साहेब की जानकारी।। 🍁🌸

भारत के महान संत और आध्यात्मिक कवि स्वयं भगवान थे , और है भी,,,

अनेक प्रमाणिक तथ्यों के साथ सिद्ध करेगे की कबीर जी स्वयं भगवान है, पूरी श्रष्टि के मालिक है, वो अपने आप को छुपाकर रखते है, उनको ज्ञान आधार से पहचाना जा सकता है।।।


 इस्लाम के अनुसार ‘कबीर’ का अर्थ महान होता है। कबीर पंथ एक विशाल धार्मिक समुदाय है ।
कबीर पंथ के लोग को कबीर पंथी कहे जाते है जो पूरे उत्तर और मध्य भारत में फैले हुए है। संत कबीर के लिखे कुछ महान रचनाओं में बीजक, कबीर ग्रंथावली, अनुराग सागर, सखी ग्रंथ आदि है। ये स्पष्ट नहीं है कि उनके माता-पिता कौन थे लेकिन ऐसा सुना गया है कि उनकी परवरिश करने वाला कोई बेहद गरीब मुस्लिम बुनकर परिवार था। कबीर बेहद धार्मिक व्यक्ति थे और एक महान सन्त के रूप के जाने जाते है, और भगवान तो वो है ही।।




कबीर जी के दोहे:::::::::--

जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नहीं
सब अंधियाँरा मिट गया, जब दीपक देखया महीन”
“बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर”
“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा ना मिला कोय
जो मन देखा आपना, मुझसे बुरा ना कोय”
“गुरु गोविन्द दोहू खड़े, कागे लागू पाँय
बलीहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय”
“सब धरती कागज कारु, लेखनी सब वनराय
सात समुन्द्र की मासी कारु, गुरुगुन लिखा ना जाय”
“ऐसी वानी बोलिये, मन का आपा खोय
औरन को शीतल करुँ, खुद भी शीतल होय”
“निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय
बिन पानी बिन साबुन, निर्मल करे सुभाय”
“दुख में सिमरन सब करे, सुख में करे ना कोय
जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय”
“माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंधे मोहे
एक दिन ऐसा आयेगा, मैं रौंधुगी तोहे”
“चलती चक्की देखकर, दिया कबीरा रोय
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा ना कोय”
“मालिन आवत देख के, कलियाँ करे पुकार
फूले फूले चुन लिये, काल हमारी बार”
“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब
पल में परलय होयेगी बहुरी करेगा कब”
“पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया ना कोय
ढ़ाई अक्षर प्रेम के, पढ़े सो पंडित होय”
“साईं इतना दीजीये, जा में कुटुम्ब समाय
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधू ना भूखा जाय”


*रामानंद जी के मन की बात जानना*
रामानंद जी प्रतिदिन विष्णु की मानसिक मूर्ति बनाकर कर्म कांड करके पूजा करते थे। एक दिन वे भगवान विष्णु जी को स्नान कराकर मुकुट पहना दिया और गले में कंठी डालना भूल गए। मन ही मन बहुत दुखी हुए की आज पूजा ख़राब होगई।
5 वर्ष के बालक रुप में कबीर साहेब ने उनके मन की बात को जानकर रामानंद जी को कहा कि, स्वामी जी माला की गांठ खोलकर माला पहना दो, फिर गांठ लगा दो।मुकुट नहीं उतारना पड़ेगा।



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कबीर परमेश्वर ने 600 वर्ष पूर्व सतगुरु की भूमिका कर तत्वज्ञान समझाया था।
उन्होंने बताया था की ब्रह्मा, विष्णु, महेश नाशवान है इनकी भी जन्म व् मृत्यु होती है।(प्रमाण पवित्र श्रीमद्देवीमहापुराण तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 114 से 123)
ये त्रिदेव सिर्फ कर्म का फल प्रदान कर सकते है जन्म मृत्यु का रोग समाप्त नहीं कर सकते।


।।।।।।।।।।।।।💫।।।।।।।।।

*"गुण तीनों की भक्ति में, भूल परो संसार। कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरैं पार।।"*
कबीर परमेश्वर ने 600 वर्ष पूर्व यह तत्वज्ञान बताया था की सभी जीव तीनों गुण यानी (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तमगुण शिवजी) की साधना करके काल जाल व् चौरासी लाख योनियों में फसे है, जब तक पूर्ण संत द्वारा वास्तविक मंत्र नहीं मिलेगा तब तक मोक्ष होना असंभव है।


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कबीर जी ही पूर्ण परमात्मा सबके पालनहार है, वो चारो युगों में आते हैं। ओर अपना ज्ञान बोल बोल के बताते हैं कवियों की तरह।
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 कबीर परमेश्वर अविनाशी स्थान सतलोक में विराजमान है। कबीर साहेब ने अपनी वाणी (सूक्ष्म वेद) में यह ज्ञान दिया था की स्वर्ग व् ब्रह्म लोक तो नाशवान है, इनसे भी ऊपर एक अविनाशी अमर स्थान "सतलोक" है जहाँ जन्म व् मृत्यु नहीं है, कोई दुःख व् बुढ़ापा नहीं है। उस अमर स्थान को सिर्फ पूर्ण गुरु बनाकर कबीर साहेब की सतभक्ति करके ही पाया जा सकता है।

*”कबीर का घर शिखर पर ,जहाँ सिलहली गैल । पांव न टिके पिपीलिका , पंडित लादे बैल ॥"*

 600 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणियो में सृष्टि रचना का सम्पूर्ण ज्ञान बताया था, उन्होंने बताया की पहले ब्रह्म (काल) की उत्पत्ति अण्डे से हुई। फिर दुर्गा की उत्पत्ति हुई। दुर्गा के रूप पर आसक्त होकर काल ने छेड़-छाड़ की, तब कबीर जी वहाँ गए दुर्गा की रक्षा करी और काल व् दुर्गा को 21 ब्रह्माण्ड समेत 16 शंख कोस की दूरी पर भेज दिया। काल ने दुर्गा के साथ भोग-विलास किया। इन दोनों के संयोग से ब्रह्मा, विष्णु, शिव की उत्पत्ति हुई। इन्हीं तीनों की ही साधना करके सर्व प्राणी काल जाल में फंसे हैं। जब तक सतगुरु नहीं मिलेगा, पूर्ण मोक्ष होना असंभव है।

Wednesday, June 10, 2020

Knowledge of Bible

             परमात्मा साकार रूप में है
पवित्र बाईबल में प्रमाण है परमात्मा साकार है,निराकार नही ओर मनुष्य सदृश्य है।


वह परमात्मा अविनाशी है, उसका जन्म-मरण नही होता है, सभी सधग्रन्थों में इसका प्रमाण मिलता है।
वह सबका मालिक है, सर्वसृष्टि रचने वाला है।
उस अविनासी परमात्मा का जन्म माँ के गर्भ से नही होता है, वो प्रभु तो अपने निज लोक से धरती पर सशरीर आता है,सशरीर ही जाता है।
जबकि यीशु जी जन्म तो मरियम के गर्भ से हुआ था तो उनका तो जन्म मरण है।
     

वह प्रभू सशरीर है

पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ) से सिद्ध होता है कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टी की रचना की तथा फिर विश्राम किया।
   


भगवान ने मनुष्य को शाकाहारी भोजन खाने का आदेश दिया है - पवित्र बाईबल में प्रमाण
परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी रची और सर्व मनुष्यों के
आहार के लिए आदेश किया था कि मैंने तुम्हारे खाने के लिए फलदार वृक्ष तथा बीजदार पौधे दिए हैं। मांस खाने का आदेश नहीं दिया प्रभु ने।
जो व्यक्ति एक तरफ परमात्मा की भक्ति करते हैं दूसरी ओर उसी के प्राणियों की हत्या करते हैं। ऐसे प्रभु कैसे खुश नहीं होता। जिसका परिणाम आज सबके सामने है।
पवित्र बाइबल में उत्पत्ति 1:29 पर फिर परमेश्वर ने कहा सुनो जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर है और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं वे सब मेंने तुम को दिए हैं वह तुम्हारे भोजन के लिए हैं।

आज़ का मानव समाज मांस खाकर महापाप का भागी बन रहा है।
पूर्ण परमात्मा कौन है
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पवित्र बाइबल में भगवान का नाम कबीर है - अय्यूब 36:5। यहां स्पष्ट है की कबीर ही शक्तिशाली परमात्मा है।
ईसा मसीह परमात्मा के पुत्र थे। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सबके पिता हैं, उत्पत्ति कर्ता हैं। वही असली माता-पिता,भाई बंधु हैं। वह काल की तरह कभी धोखा नहीं देते।

सर्वशक्तिमान प्रभु कबीर साहेब

हजरत ईसा मसीह की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व ही निर्धारित थी। स्वयं ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है तथा तुम शिष्यों में से ही एक मुझे विरोधियों को पकड़वाएगा और वो मुझे मार देंगे। इससे सिद्ध है हज़रत ईसा जी ने कोई चमत्कार नहीं किया ये सब पहले से ही निर्धारित था
काल (ब्रह्म) पुण्यात्माओं को अपना अवतार (रसूल) बना कर भेजता है। फिर चमत्कारों द्वारा उसको भक्ति कमाई रहित करवा देता है। उसी में कुछ फरिश्तों (देवताओं) को भी प्रवेश करके
कुछ चमत्कार फरिश्तों द्वारा उनकी पूर्व भक्ति धन से करवाता है। उनको भी शक्ति हीन कर देता है।

यदि पूर्ण परमात्मा ईसा जी का रूप धारण करके प्रकट नहीं होते तब ईसा जी के पूर्व चमत्कारों को देखते हुए ईसा जी का अंत देखकर कोई भी व्यक्ति भक्ति साधना नहीं करता, नास्तिक हो जाते।
(प्रमाण पवित्र बाईबल में यूहन्ना 16: 4-15) ब्रह्म(काल) यही चाहता है।
ईसा मसीह की मृत्यु के तीसरे दिन स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही आये थे भक्ति की लाज रखने के लिए। अन्यथा काल ब्रह्म भगवान से विश्वास ही उठा देता लोगों का।
पवित्र बाइबिल के ज्ञान से स्पष्ट होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है, जिनका सभी सधग्रन्थों मे जिक्र किया गया है, पवित्र कुरान में भी कबीर अल्लाहु अकबर के नाम से जिक्र है।
वह परमात्मा सबका रचयिता ओर पालनहार है।
सम्पूर्ण सृष्टि उसी ने बनाई है।
वह जगत का पिता परमेश्वर है।
ओर आज ये तत्वज्ञान ओर सभी सधग्रन्थों का ज्ञान इस पूरे विश्व में सन्त रामपाल जी के अलावा कोई नही बता सकता है।
सभी शास्त्रो का ज्ञान प्रमाण के साथ बता रहे
हैं।
पूर्ण मोक्ष का मार्ग ओर सतभक्ति सन्त रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं उनके अलावा पूरे विश्व मे ऐसा ज्ञान ओर ऐसी भक्ति नही।
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Thursday, June 4, 2020

Lord kabir is suprem God

               🙏🍀कबीर प्रकट दिवस🍀🙏
कबीर साहेब जी 600 वर्ष पहले काशी के लहर ताला तालाब में, सशरीर प्रकट हुए थे।।
"कबीर साहेब" अविनाशी भगवान हैं, जिनकी कभी भी जन्म-मृत्यु नहीं होती।
             

कबीर परमात्मा सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममुहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए। यह उनका प्रकट दिवस है।

जानिए अद्भुत रहस्य!
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का माँ के गर्भ से जन्म नहीं होता। वह स्वयं प्रकट होते हैं अपना तत्वज्ञान देने के लिए।
कबीर परमात्मा ही बन्दीछोड़ कहलाते हैं। क्योंकि वो काल की बंद, कैद से छुड़ाने के लिए ही धरती पर सतलोक से चलकर आते हैं।
गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बंदीछोड़ कहाय।
सो तो एक कबीर हैं, जननी जन्या न माय।।
कबीर परमात्मा सशरीर सतलोक से आते हैं, उनका जन्म नहीं होता। परमात्मा साकार है। देखें सत्संग
"गगन मंडल से उतरे सतगुरु पुरूष कबीर”
जलज माहि पौडन किए, सब पीरन के‌ पीर।।*
कबीर परमात्मा का प्रकट दिवस होता है क्योंकि पूर्ण परमात्मा कबीर जी का का जन्म कभी मां के गर्भ से नहीं होता। 
न मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
कबीर साहेब अपनी प्यारी आत्माओं का उद्धार करने के लिए इस पृथ्वी पर प्रकट होते हैं।
हिन्दू मुस्लिम के बीच में, मेरा नाम कबीर।
आत्म उद्धार कारणे, अविगत धरा शरीर।।

ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि वह परमात्मा सतलोक से शिशु रूप धारण करके प्रकट होता है और कुंवारी गायों के दूध से उसकी परवरिश होती है ।
कबीर परमात्मा चारों युगों में प्रकट होते हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से, 
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
कबीर परमात्मा ही विश्व को भक्ति दृढ़ाने के लिए सतलोक से सशरीर प्रकट होते हैं सतगुरु रूप बनाकर
गरीब, भक्ति मुक्ति ले उतरे, मेटन तीनूं ताप।
मोमन के डेरा लिया, कहै कबीरा बाप।।

कबीर परमेश्वर ने बताया कि परमात्मा सभी पापों से मुक्त कर सकता है। आज संत रामपाल जी महाराज ने वेदों से प्रमाणित करके बता दिया कि परमात्मा साधक के घोर पाप को भी समाप्त कर देता है। प्रमाण "यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13"।
कबीर परमेश्वर जी ने सच्चे गुरु के लक्षण बताए।
सतगुरु के लक्षण कहु, मधुरे बेन विनोद, चार वेद छः सास्त्र, वो कह अट्ठारह बोध।।
कबीर साहेब जी ने तत्वज्ञान दिया कि सतगुरु बनाकर भक्ति करना परमावश्यक है।
वर्तमान में पूर्ण सतगुरु केवल संत रामपाल जी महाराज ही हैं। उनसे सतभक्ति प्राप्त करके मोक्ष प्राप्त करें।


5जून_महासत्संग_साधनाTVपर
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"5 जून कबीर साहेब प्रकट दिवस" के उपलक्ष्य में ज़रूर देखें जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का महा सत्संग साधना चैनल पर सुबह 09 बजे से दोपहर 12 बजे तक ।
5thJuneKabirPrakatDiwas

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