धर्म का उत्थान
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बताना चाहूंगी आपको, अपने ही धर्म के बारे में।।।।
पहले हम सब एक थे,, फिर वापिस धर्म के नाम पर बंट गए,,,
बने रहे हमारे साथ, अंत तक,
पहले बहुत अच्छा समय था,
सब प्यार से रहते थे,
सब एक दूसरे से प्रेम भाव से रहते थे,
आपसी मदद करते थे,
ना कोई जाति का ,
ना कोई जाति का ,
ना कोई पैसे का ,
ना कोई धर्म का ,
किसी प्रकार का भेदभाव नही था।।
हम सब एक ही भगवान के बच्चे थे , है और रहेगे।।
धीरे धीरे हमने एक दूसरे से दूरियां बनाना चालू कर दिया, इसका कारण था, आपसी भेदभाव।।
प्रचीन काल से हम अच्छे व्यवहार और अच्छे भक्ति भाव से रहते हुए आये है, एक ये भी कारण है कि हमे सच्चे संत ना मिलने के कारण हम धर्म के नाम पर बंटते जा रहे है।।
सच्चाई तो ये है....✍️
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जीव हमारी जाती है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख,इसाई धर्म नही कोई न्यारा।।
लेकिन हम इससे हट कर चल रहे है , इसका कारण है,
अज्ञान,
अप्रमाणित भक्ति विधि, और
शास्त्र अनुकूल भक्ति का ना होना!
तत्वज्ञान का ना होना!
पूर्ण परमात्मा का ज्ञान ना होना!
सत्य ज्ञान से परिचित ना होना!
भारत हमेशा से ही विश्व गुरु, और संतो की भूमि रहा है।।।
इसलिए इसे "सोने की चिड़िया" का नाम मिला है...
जानिए अब....👇
आज हमारे बीच इस कदर फूट डाल दी गई है कि अब मुश्किल है यह समझना कि हिंदू या मुसलमान, दलित या ब्राह्मण कोई और नहीं यह उनका अपना ही खून है और वह अपने ही खून के खिलाफ क्यों हैं? आज मुगलों और अंग्रेजों की सच्चाई बताना गुनाह माना जाता है। वे लोग तो चले गए लेकिन हमारे बीच ही फर्क डालकर चले गए।
ग्रंथों के साथ छेड़खानी :---
प्राचीन काल में धर्म से संचालित होता था राज्य। हमारे धर्म ग्रंथ लिखने वाले और समाज को रचने वाले ऋषि-मुनी जब विदा हो गए तब राजा और पुरोहितों में सांठगाठ से राज्य का शासन चलने लगा। धीरे-धीरे अनुयायियों की फौज ने धर्म को बदल दिया। बौद्ध काल ऐसा काल था, जबकि हिन्दू ग्रंथों के साथ छेड़खानी की जाने लगी। फिर मुगल काल में और बाद में अंग्रेजों ने सत्यानाश कर दिया। अंतत: कहना होगा की साम्यवादी, व्यापारिक और राजनीतिक सोच ने बिगाड़ा धर्म को।
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अंग्रेजों का काल :--
यह ऐसा काल था जबकि अंग्रेज भारत पर शासन करना चाहते थे। इसमें 'बांटो और राज करो' के सिद्धांत का बड़ा योगदान रहा जो ब्रिटेन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति भी करता था।
इस प्रकार हमारे धर्म ग्रन्थों के छेड़छाड़,,,,
भेदभाव ।।।
भेदभाव ।।।
और
धर्म का कुप्रचार करके हमे बांटा गया।।
हमे एक भगवान, जो कि सबका मालिक एक है उससे ज्ञान और भक्ति विधि से दूर रखा गया,
लेकिन सच्चाई हमेशा उजागर होके रहती है, देरी हो सकती है, लेकिन अंधेरा नही।।।
भारत की पवित्र भूमि पर समय समय पर, संतो का आगमन होता है, जो कि बढ़ते हुए अधर्म को कम करके मानव धर्म का उत्थान करने आते है।
वो अपने वास्तविक ज्ञान से परिचित करवाकर , कल्याण के मार्ग पर लगाते है,,
अज्ञान से ज्ञान की तरफ और
अंधरे से प्रकाश की तरफ ले जाते है,,,,,
वो सभी मे वापस वैसा ही ज्ञान और सदभाव भर देते है, भगवान की वास्तविक भक्ति विधि बताकर अच्छे संस्कार और अच्छे विचार भर देते है।।
दुबारा दौरा रही हूं
और
सही कहा गया है :::--
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जीव हमारी जाति है,मानव धर्म हमारा।
हिन्दू,मुस्लिम, सिख,ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।।
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वर्तमान में जगत गुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी ही पूरे विश्व को एक प्रमाणित ज्ञान के धागे में पिरो कर, सत्य के मार्ग पर सबको चलना सीखा रहे है।।।।।
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