असली स्वतंत्रता क्या है
स्वतंत्रता प्रत्येक प्राणी का जन्म सिद्ध अधिकार है
तुलसीदास ने कहा था
"पराधीन सपनेहुँ सुख नाही"
पराधीन में तो स्वपन में भी सुख नही है।पराधीनता तो किसी के लिए भी अभिशाप है।जब हमारा देश परतंत्र था, उस समय विश्व मे न हमारी इज्जत थी, न हमारा अपना झंडा था, न हमारा संविधान था। आज हम स्वतन्त्र है, इसलिये सारे संसार में सिर ऊँचा करके चल सकते हैं।
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। इस दिन को पूरे देश मे एक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा, क्योकि इस दिन से हमको अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति मिली थी।
फिर लगा अब तो सुख से जीने की राह मिलेगी।
लेकिन क्या हम आज पूर्ण रूप से स्वंतन्त्र हैं....?
जिस देश मे बेरोजगारी हो।
जहाँ भ्र्ष्टाचार हो रहा हो।
आये दिन जनता पर जुल्म किये जाते है
जो निर्दोष है उनको सजा दी जाती है ओर जो अपराधी है उनको खुले आम छोड़ दिया जाता है
किसी के साथ भी कुछ भी हो जाये उसको न्याय तो क्या मिलेगा उस के साथ अच्छा व्यवहार भी ठीक से नही करते हैं अधिकारी लोग।
क्या यही देश की असली स्वतंत्रता हैं
जहाँ पर गरीब लोगों के साथ अन्याय पर अन्याय हो रहा हो।
विकास के नाम पर जनता पर ही कर लगा दिये जाते हैं क्या ये स्वतंत्रता हैं।
आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है । प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है । समाज में अनैतिकता , अराजकता और स्वार्थपरता का बोलबाला हो गया है । परिणामस्वरूप भारतीय संस्कृति और उसका पवित्र तथा नैतिक स्वरूप धुंधला 1 - सा हो गया है । इसका एक कारण समाज में फैल रहा भ्रष्टाचार भी है । भ्रष्टाचार के इस विकराल रूप को धारण करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इस अर्थप्रधान युग में प्रत्येक व्यक्ति धन प्राप्त करने में लगा हुआ है । मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ़ जाने के कारण वह उन्हें पूरी करने के लिए मनचाहे तरीकों को अपना रहा है । कमरतोड़ महँगाई भी इसका एक प्रमुख कारण है । हमें हमारे समाज में फन फैला रहे इस विकराल नाग को मारना होगा । सबसे पहले आवश्यक है प्रत्येक व्यक्ति के मनोबल को ऊँचा उठाना । यही नहीं शिक्षा में कुछ ऐसा अनिवार्य अंश जोड़ा जाए जिससे हमारी नई पीढ़ी प्राचीन संस्कृति तथा नैतिक प्रतिमानों को संस्कार स्वरूप लेकर विकसित हो । न्यायिक व्यवस्था को कठोर करना होगा तथा सामान्य जन को आवश्यक सुविधाएँ भी सुलभ करानी होंगी । इसी आधार पर आगे बढ़ना होगा तभी इस स्थिति में कुछ सुधार की अपेक्षा की जा सकती है । ये सब बदलाव तब ही होगा जब हम ईमानदारी से चलेंगे ओर भगवान से डरके हर कार्य करेगे।
पहले लोग धर्म के नाम पर केवल मानवीयता को महत्व देते थे पर आज धर्म के नाम पर भी लूट मची हुई है देश में इस कारण भी हम पराधीनता महसुस करते हैं सभी धर्म - संप्रदाय, मत और मजहब मानव - मात्र को ईश्वर - आस्था, सभी प्राणियों के प्रति स्नेह - भाव, उपकार, स्वार्थ त्याग और परस्पर प्रेम - भाव की शिक्षा देते हैं। किसी भी धर्म और मजहब में नफरत, हिंसा, वैर - द्वेष आदि का पाठ नहीं पढ़ाया गया है। सभी मनुष्य परमात्मा की संतान हैं और इसी कारण धर्म - संप्रदाय से परे मानवता के एक सूत्र में बंधे हैं इस मूल बात को कुछ लोग भूलकर धर्म के मिथ्या उन्माद में बहक जाते हैं और एक - दूसरे के मजहब को नीचा दिखाने के प्रयास करते हैं। ऐसे ही लोग करते हैं जो धर्म के सच्चे स्वरूप को नहीं समझते हैं। वास्तव में, व्यक्ति का अहंकार ही इस धार्मिक उन्माद का कारण बनता है। हमारी उपासना और पूजा - पाठ के तरीके अलग हो सकते हैं, हम अपने आराध्य देव को अलग - अलग नामों से पुकार सकते हैं। पर ये सभी उस परम तत्व परमात्मा तक पहुँचने के भिन्न - भिन्न मार्ग भर हैं, मंजिल तो सब की एक है। धर्म तोड़ता नहीं संस्करण है। संस्कृत में एक कथन है - 'धर्म: यो बाधते धर्म न स धर्म: कुधर्म तब' - अर्थात् वह धर्म नहीं कुधर्म है, जो दूसरे धर्म को बाधित करता है। यही धर्म समभाव शायर इकबाल के इस शेर में ध्वनित होता है:
आज इन सब बुराइयों को दूर करने के लिए देश मे सिर्फ सन्त रामपाल जी महाराज ही एक ऐसे सन्त है,जो इन सब से छुटकारा दिला सकते हैं।
देश मे फिर से अमन शान्ति ला सकते है।
सन्त रामपाल जी महाराज भृष्टाचार मुक्त भारत तैयार कर रहे हैं। ओर भारत को फिर से सोने की चिड़िया बना रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज एक नए समाज को तैयार कर रहे हैं समाज में जो भी बुराइयां हैं उन को मिटा रहे हैं आप भी इन बुराइयों से बच सकते हैं।
आज कलयुग में बहुत सी बुराइयां फैली हुई है आए दिन लड़कियों के साथ दुराचार किया जाता है यदि हम सत भक्ति करके सदाचरण करेंगे तो यह अपने आप खत्म हो जाएगी और यह होगी सिर्फ और सिर्फ सत भक्ति करने से और फिर धरती स्वर्ग जैसी बन जाएगी
आज दहेज के कारण कितनी लड़कियों की जान चली जाती है लड़कियां आत्महत्या तक कर लेती है इन सब से छुटकारा पाने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति करने से दूर हो जाएगी और मानव जीवन सुखी होगा
संत रामपाल जी महाराज मानव समाज की सभी बुराइयों को मिटाने के लिए एक समिति का गठन किया है जो आपको सहयोग तो करेगी ही साथ ही सत भक्ति भी होगी और मोक्ष मिलेगा
अगर धरती को स्वर्ग बनाना है व सारे पापों से छुटकारा पाना है तो "जीने की राह"अवश्य पढ़ें जो इससे आपको सत भक्ति तो मिलेगी ही साथ ही आप का पूर्ण मोक्ष भी होगा अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट पर जाकर देख सकते हो।
पूर्ण रूप से स्वतंत्र तो तब होंगे हम जब हमारा जन्म मरण का रोग कट जाएगा मतलब इस संसार से हमको मोक्ष का मार्ग मिल जाएगा तभी पूर्ण रूप से छुटकारा मिलेगा।ये सब सतभक्ति से ही होगा जो शास्त्रो अनुकूल हो ।
For more information Must vist website
👇
www.jagatgururampalji.org