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Wednesday, July 8, 2020

राजनीति से समाज का नाश

राजनीति दो शब्दों का एक समूह है राज+नीति। (राज मतलब शासन और नीति मतलब उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने कि कला) अर्थात् नीति विशेष के द्वारा शासन करना या विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जनता के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर (सार्वजनिक जीवन स्तर)को ऊँचा करना राजनीति है । नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना,विधि बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। राजनीति का इतिहास अति प्राचीन है जिसका विवरण विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म ग्रन्थों में देखनें को मिलता है । राजनीति कि शुरूआत रामायण काल से भी अति प्राचीन है। महाभारत महाकाव्य में इसका सर्वाधिक विवरण देखने को मिलता है । चाहे वह चक्रव्यूह रचना हो या चौसर खेल में पाण्डवों को हराने कि राजनीति । अरस्तु को राजनीति का जनक कहा जाता है। आम तौर पर देखा गया है कि लोग राजनीति के विषय में नकारात्मक विचार रखते हैं , यह दुर्भाग्यपूर्ण है ,हमें समझने की आवश्यकता है कि राजनीति किसी भी समाज का अविभाज्य अंग है ।महात्मा गांधी ने एक बार टिप्पणी की थी कि राजनीति ने हमें सांप की कुंडली की तरह जकड़ रखा है , इससे जूझने के सिवाय कोई अन्य रास्ता नहीं है ।



साधारण भाषा मे कह सकते है कि राज्य की चलाने की नीति को राज्यनीति कहते है::::::------

प्राचीन काल में राजनीति एक धर्म के ऊपर आधारित होती थी सभी काम धार्मिकता से किए जाते थे , नैतिकता से किए जाते थे सभी प्रकार के विचारों को अच्छे से जाना जाता था उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाता था लेकिन वर्तमान समय कुछ उल्टा हो रहा है वर्तमान में कलयुग माहौल बन गया है लोग राजनीति को सिर्फ पैसे तक ही अहमियत देते हैं राजनीति को पैसे कमाने का एक साधन मात्र मान लिया है ।

राजनीति के चक्कर में लोग एक दूसरे को मार डालते हैं कत्लेआम कर देते हैं तो काट देते हैं राजनीति के चक्कर में यानी की कुर्सी के चक्कर में नेता लोग एक दूसरे को नीचा दिखा देते हैं मारने की धमकियां दे देते हैं प्राचीन काल की राजनीति आज की राजनीति में रात दिन का अंतर है वर्तमान की राजनीति में विष घुला हुआ है या यू समझो कि वर्तमान की राजनीति जहर घोलने का काम करती है लोग पैसे के चक्कर में एक दूसरे को मरवा डाल देते हैं प्राचीन काल की राजनीति में लोग भगवान से डरते थे ।
भगवान को मध्य नजर रखते हुए भगवान के कानून को भगवान के संविधान को याद रख कर के सारे फैसले लिये जाये तो समाज को वास्तविक विकास करते रहें लोगों को उन्नत बना सकते हैं गरीब लोगों को जिनके पास पैसे की कमी है उनके पास राशन की उचित व्यवस्था कर सकते है,लेकिन वर्तमान राजनीति में सब कुछ उल्टा हो गया है गरीब लोगों को पैसे ना दे करके अमीर लोगों को सब कुछ मिलता है।।

राजनीति एक धंधा रह गया है........😢

राजनीति सिर्फ एक घंटा मात्र बन गया लोग राजनीति इसलिए झुकते हैं क्योंकि ढेर सारे पैसे कमाएंगे जनता को लूटते हैं और उन पैसे को अपने घर में ऐसा मत करो सिर्फ राजनीति का ही काम है।



राजनीति की हानियां::::--

वर्तमान समय में राजनीति सिर्फ जनता को हानि पहुंचाती है इसमें सिर्फ अमीर लोगों को मुनाफा मिलता है गरीब लोगों को नुकसान मिलता है राजनीति फिर कमरे पर आ गई है सिर्फ नेताओं तक रह गई है नेता बहुमत लेकर के राजनीति ना करें फिर अपनी मनमानी करके जनता में भी बोलते हैं और अपने घर भर लेते हैं जनता के अंदर कोई लेना देना नहीं होता है राजनीति सिर्फ एक धंधा बन गया है।।।




विशेष :::
यदि हम भगवान के संविधान में रहकर के सारे काम करें तो तुम किसी को कोई भी नुकसान नहीं होगा सबको समान लाभ मिलेगा और सब भगवान से डर के काम करेंगे तो हमें इस देश को उन्नत होने की राहत मिलेगी भारत को वापस सोने की चिड़िया हम बना सकते हैं।

 हमारे अंदर नैतिकता और वास्तविक सद्भावना की जरूरत है इससे हम विश्व को मात दे सकते हैं और इस राजनीतिक शिष्टाचार से,राजनीतिक सद्भाव से अपने विचारों से अच्छे भाव से हम देश को वापस सोने की चिड़िया बना सकते हैं इसमें हम सिर्फ सिर्फ भगवान की भक्ति और भगवान से परिचित होना पड़ेगा।
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