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Wednesday, July 15, 2020

Real freedom


असली स्वतंत्रता क्या है

स्वतंत्रता प्रत्येक प्राणी का जन्म सिद्ध अधिकार है
तुलसीदास ने कहा था
"पराधीन सपनेहुँ सुख नाही"

पराधीन में तो स्वपन में भी सुख नही है।पराधीनता तो किसी के लिए भी अभिशाप है।जब हमारा देश परतंत्र था, उस समय विश्व मे न हमारी इज्जत थी, न हमारा अपना झंडा था, न हमारा संविधान था। आज हम स्वतन्त्र  है, इसलिये सारे संसार में सिर ऊँचा करके चल सकते हैं।
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। इस दिन को पूरे देश मे एक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा, क्योकि इस दिन से हमको अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति मिली थी।
फिर लगा अब तो सुख से जीने की राह मिलेगी।
लेकिन क्या हम आज पूर्ण रूप से स्वंतन्त्र हैं....?
जिस देश मे बेरोजगारी हो।
जहाँ भ्र्ष्टाचार हो रहा हो।
आये दिन जनता पर जुल्म किये जाते है
जो निर्दोष है उनको सजा दी जाती है ओर जो अपराधी है उनको खुले आम छोड़ दिया जाता है
किसी के साथ भी कुछ भी हो जाये उसको न्याय तो क्या मिलेगा उस के साथ अच्छा व्यवहार भी ठीक से नही करते हैं अधिकारी लोग।
क्या यही देश की असली स्वतंत्रता हैं
जहाँ पर गरीब लोगों के साथ अन्याय पर अन्याय हो रहा हो।
विकास के नाम पर जनता पर ही कर लगा दिये जाते हैं क्या ये स्वतंत्रता हैं।
आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है । प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है । समाज में अनैतिकता , अराजकता और स्वार्थपरता का बोलबाला हो गया है । परिणामस्वरूप भारतीय संस्कृति और उसका पवित्र तथा नैतिक स्वरूप धुंधला 1 - सा हो गया है । इसका एक कारण समाज में फैल रहा भ्रष्टाचार भी है । भ्रष्टाचार के इस विकराल रूप को धारण करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इस अर्थप्रधान युग में प्रत्येक व्यक्ति धन प्राप्त करने में लगा हुआ है । मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ़ जाने के कारण वह उन्हें पूरी करने के लिए मनचाहे तरीकों को अपना रहा है । कमरतोड़ महँगाई भी इसका एक प्रमुख कारण है । हमें हमारे समाज में फन फैला रहे इस विकराल नाग को मारना होगा । सबसे पहले आवश्यक है प्रत्येक व्यक्ति के मनोबल को ऊँचा उठाना । यही नहीं शिक्षा में कुछ ऐसा अनिवार्य अंश जोड़ा जाए जिससे हमारी नई पीढ़ी प्राचीन संस्कृति तथा नैतिक प्रतिमानों को संस्कार स्वरूप लेकर विकसित हो । न्यायिक व्यवस्था को कठोर करना होगा तथा सामान्य जन को आवश्यक सुविधाएँ भी सुलभ करानी होंगी । इसी आधार पर आगे बढ़ना होगा तभी इस स्थिति में कुछ सुधार की अपेक्षा की जा सकती है । ये सब बदलाव तब ही होगा जब हम ईमानदारी से चलेंगे ओर भगवान से डरके हर कार्य करेगे।

पहले लोग धर्म के नाम पर केवल मानवीयता को महत्व देते थे पर आज धर्म के नाम पर भी लूट मची हुई है देश में इस कारण भी हम पराधीनता महसुस करते हैं सभी धर्म - संप्रदाय, मत और मजहब मानव - मात्र को ईश्वर - आस्था, सभी प्राणियों के प्रति स्नेह - भाव, उपकार, स्वार्थ त्याग और परस्पर प्रेम - भाव की शिक्षा देते हैं।  किसी भी धर्म और मजहब में नफरत, हिंसा, वैर - द्वेष आदि का पाठ नहीं पढ़ाया गया है।  सभी मनुष्य परमात्मा की संतान हैं और इसी कारण धर्म - संप्रदाय से परे मानवता के एक सूत्र में बंधे हैं इस मूल बात को कुछ लोग भूलकर धर्म के मिथ्या उन्माद में बहक जाते हैं और एक - दूसरे के मजहब को नीचा दिखाने के प्रयास करते हैं।  ऐसे ही लोग करते हैं जो धर्म के सच्चे स्वरूप को नहीं समझते हैं।  वास्तव में, व्यक्ति का अहंकार ही इस धार्मिक उन्माद का कारण बनता है।  हमारी उपासना और पूजा - पाठ के तरीके अलग हो सकते हैं, हम अपने आराध्य देव को अलग - अलग नामों से पुकार सकते हैं।  पर ये सभी उस परम तत्व परमात्मा तक पहुँचने के भिन्न - भिन्न मार्ग भर हैं, मंजिल तो सब की एक है।  धर्म तोड़ता नहीं संस्करण है।  संस्कृत में एक कथन है - 'धर्म: यो बाधते धर्म न स धर्म: कुधर्म तब' - अर्थात् वह धर्म नहीं कुधर्म है, जो दूसरे धर्म को बाधित करता है।  यही धर्म समभाव शायर इकबाल के इस शेर में ध्वनित होता है:
आज इन सब बुराइयों को दूर करने के लिए देश मे सिर्फ सन्त रामपाल जी महाराज ही एक ऐसे सन्त है,जो इन सब से छुटकारा दिला सकते हैं।
देश मे फिर से अमन शान्ति ला सकते है।
सन्त रामपाल जी महाराज भृष्टाचार मुक्त भारत तैयार कर रहे हैं। ओर भारत को फिर से सोने की चिड़िया बना रहे हैं।

संत रामपाल जी महाराज एक नए समाज को तैयार कर रहे हैं समाज में जो भी बुराइयां हैं उन को मिटा रहे हैं आप भी इन बुराइयों से बच सकते हैं।
आज कलयुग में बहुत सी बुराइयां फैली हुई है आए दिन लड़कियों के साथ दुराचार किया जाता है यदि हम सत भक्ति करके सदाचरण करेंगे तो यह अपने आप खत्म हो जाएगी और यह होगी सिर्फ और सिर्फ सत भक्ति   करने से और फिर धरती स्वर्ग जैसी बन जाएगी

आज दहेज के कारण कितनी लड़कियों की जान चली जाती है लड़कियां आत्महत्या तक कर लेती है इन सब से छुटकारा पाने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति करने से दूर हो जाएगी और मानव जीवन सुखी होगा
संत रामपाल जी महाराज मानव समाज की सभी बुराइयों को मिटाने के लिए एक समिति का गठन किया है जो आपको सहयोग तो करेगी ही साथ ही सत भक्ति भी होगी और मोक्ष मिलेगा

धरती को स्वर्ग बनाना है और यह काम तभी होगा जब हम सत भक्ति करेंगे पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज के अलावा कोई शक्ति नहीं बता सकता जो हमारे सद ग्रंथों में प्रमाणित है अधिक जानने के लिए जरूर देखें श्रद्धा टीवी पर प्रसारित होने वाला सत्संग 2:30 pm
अगर धरती को स्वर्ग बनाना है व सारे पापों से छुटकारा पाना है तो "जीने की राह"अवश्य पढ़ें जो इससे आपको सत भक्ति तो मिलेगी ही साथ ही आप का पूर्ण मोक्ष भी  होगा अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट पर जाकर देख सकते हो।
पूर्ण रूप से स्वतंत्र तो तब होंगे हम जब हमारा जन्म मरण का रोग कट जाएगा मतलब इस संसार से हमको मोक्ष का मार्ग मिल जाएगा तभी पूर्ण रूप से छुटकारा मिलेगा।ये सब सतभक्ति से ही होगा जो शास्त्रो अनुकूल हो ।

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Wednesday, July 8, 2020

राजनीति से समाज का नाश

राजनीति दो शब्दों का एक समूह है राज+नीति। (राज मतलब शासन और नीति मतलब उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने कि कला) अर्थात् नीति विशेष के द्वारा शासन करना या विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जनता के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर (सार्वजनिक जीवन स्तर)को ऊँचा करना राजनीति है । नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना,विधि बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। राजनीति का इतिहास अति प्राचीन है जिसका विवरण विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म ग्रन्थों में देखनें को मिलता है । राजनीति कि शुरूआत रामायण काल से भी अति प्राचीन है। महाभारत महाकाव्य में इसका सर्वाधिक विवरण देखने को मिलता है । चाहे वह चक्रव्यूह रचना हो या चौसर खेल में पाण्डवों को हराने कि राजनीति । अरस्तु को राजनीति का जनक कहा जाता है। आम तौर पर देखा गया है कि लोग राजनीति के विषय में नकारात्मक विचार रखते हैं , यह दुर्भाग्यपूर्ण है ,हमें समझने की आवश्यकता है कि राजनीति किसी भी समाज का अविभाज्य अंग है ।महात्मा गांधी ने एक बार टिप्पणी की थी कि राजनीति ने हमें सांप की कुंडली की तरह जकड़ रखा है , इससे जूझने के सिवाय कोई अन्य रास्ता नहीं है ।



साधारण भाषा मे कह सकते है कि राज्य की चलाने की नीति को राज्यनीति कहते है::::::------

प्राचीन काल में राजनीति एक धर्म के ऊपर आधारित होती थी सभी काम धार्मिकता से किए जाते थे , नैतिकता से किए जाते थे सभी प्रकार के विचारों को अच्छे से जाना जाता था उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाता था लेकिन वर्तमान समय कुछ उल्टा हो रहा है वर्तमान में कलयुग माहौल बन गया है लोग राजनीति को सिर्फ पैसे तक ही अहमियत देते हैं राजनीति को पैसे कमाने का एक साधन मात्र मान लिया है ।

राजनीति के चक्कर में लोग एक दूसरे को मार डालते हैं कत्लेआम कर देते हैं तो काट देते हैं राजनीति के चक्कर में यानी की कुर्सी के चक्कर में नेता लोग एक दूसरे को नीचा दिखा देते हैं मारने की धमकियां दे देते हैं प्राचीन काल की राजनीति आज की राजनीति में रात दिन का अंतर है वर्तमान की राजनीति में विष घुला हुआ है या यू समझो कि वर्तमान की राजनीति जहर घोलने का काम करती है लोग पैसे के चक्कर में एक दूसरे को मरवा डाल देते हैं प्राचीन काल की राजनीति में लोग भगवान से डरते थे ।
भगवान को मध्य नजर रखते हुए भगवान के कानून को भगवान के संविधान को याद रख कर के सारे फैसले लिये जाये तो समाज को वास्तविक विकास करते रहें लोगों को उन्नत बना सकते हैं गरीब लोगों को जिनके पास पैसे की कमी है उनके पास राशन की उचित व्यवस्था कर सकते है,लेकिन वर्तमान राजनीति में सब कुछ उल्टा हो गया है गरीब लोगों को पैसे ना दे करके अमीर लोगों को सब कुछ मिलता है।।

राजनीति एक धंधा रह गया है........😢

राजनीति सिर्फ एक घंटा मात्र बन गया लोग राजनीति इसलिए झुकते हैं क्योंकि ढेर सारे पैसे कमाएंगे जनता को लूटते हैं और उन पैसे को अपने घर में ऐसा मत करो सिर्फ राजनीति का ही काम है।



राजनीति की हानियां::::--

वर्तमान समय में राजनीति सिर्फ जनता को हानि पहुंचाती है इसमें सिर्फ अमीर लोगों को मुनाफा मिलता है गरीब लोगों को नुकसान मिलता है राजनीति फिर कमरे पर आ गई है सिर्फ नेताओं तक रह गई है नेता बहुमत लेकर के राजनीति ना करें फिर अपनी मनमानी करके जनता में भी बोलते हैं और अपने घर भर लेते हैं जनता के अंदर कोई लेना देना नहीं होता है राजनीति सिर्फ एक धंधा बन गया है।।।




विशेष :::
यदि हम भगवान के संविधान में रहकर के सारे काम करें तो तुम किसी को कोई भी नुकसान नहीं होगा सबको समान लाभ मिलेगा और सब भगवान से डर के काम करेंगे तो हमें इस देश को उन्नत होने की राहत मिलेगी भारत को वापस सोने की चिड़िया हम बना सकते हैं।

 हमारे अंदर नैतिकता और वास्तविक सद्भावना की जरूरत है इससे हम विश्व को मात दे सकते हैं और इस राजनीतिक शिष्टाचार से,राजनीतिक सद्भाव से अपने विचारों से अच्छे भाव से हम देश को वापस सोने की चिड़िया बना सकते हैं इसमें हम सिर्फ सिर्फ भगवान की भक्ति और भगवान से परिचित होना पड़ेगा।
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Wednesday, July 1, 2020

Dhram ka utthan

       धर्म का उत्थान 
    👇
बताना चाहूंगी आपको, अपने ही धर्म के बारे में।।।।

पहले हम सब एक थे,, फिर वापिस धर्म के नाम पर बंट गए,,,
आखिर क्यों????

बने रहे हमारे साथ, अंत तक, 
 पहले बहुत अच्छा समय था, 
सब प्यार से रहते थे,
 सब एक दूसरे से प्रेम भाव से रहते थे, 
आपसी मदद करते थे,
ना कोई जाति का , 
ना कोई पैसे का , 
ना कोई धर्म का ,
किसी प्रकार का भेदभाव नही था।।

हम सब एक ही भगवान के बच्चे थे , है और रहेगे।।



धीरे धीरे हमने एक दूसरे से दूरियां बनाना चालू कर दिया, इसका कारण था, आपसी भेदभाव।।
प्रचीन काल से हम अच्छे व्यवहार और अच्छे भक्ति भाव से रहते हुए आये है, एक ये भी कारण है कि हमे सच्चे संत ना मिलने के कारण हम धर्म के नाम पर बंटते जा रहे है।।


सच्चाई तो  ये है....✍️
👇
जीव हमारी जाती है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख,इसाई धर्म नही कोई न्यारा।।

लेकिन हम इससे हट कर चल रहे है , इसका कारण है, 
अज्ञान, 
अप्रमाणित भक्ति विधि, और 
शास्त्र अनुकूल भक्ति का ना होना!
तत्वज्ञान का ना होना!

पूर्ण परमात्मा का ज्ञान ना होना!
सत्य ज्ञान से परिचित ना होना!

भारत हमेशा से ही विश्व गुरु, और संतो की भूमि रहा है।।।
इसलिए इसे "सोने की चिड़िया" का नाम मिला है...


जानिए अब....👇
आज हमारे बीच इस कदर फूट डाल दी गई है कि अब मुश्किल है यह समझना कि हिंदू या मुसलमान, दलित या ब्राह्मण कोई और नहीं यह उनका अपना ही खून है और वह अपने ही खून के खिलाफ क्यों हैं? आज मुगलों और अंग्रेजों की सच्चाई बताना गुनाह माना जाता है। वे लोग तो चले गए लेकिन हमारे बीच ही फर्क डालकर चले गए।

ग्रंथों के साथ छेड़खानी :---
 प्राचीन काल में धर्म से संचालित होता था राज्य। हमारे धर्म ग्रंथ लिखने वाले और समाज को रचने वाले ऋषि-मुनी जब विदा हो गए तब राजा और पुरोहितों में सांठगाठ से राज्य का शासन चलने लगा। धीरे-धीरे अनुयायियों की फौज ने धर्म को बदल दिया। बौद्ध काल ऐसा काल था, जबकि हिन्दू ग्रंथों के साथ छेड़खानी की जाने लगी। फिर मुगल काल में और बाद में अंग्रेजों ने सत्यानाश कर दिया। अंतत: कहना होगा की साम्यवादी, व्यापारिक और राजनीतिक सोच ने बिगाड़ा धर्म को।


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अंग्रेजों का काल :--
 यह ऐसा काल था जबकि अंग्रेज भारत पर शासन करना चाहते थे। इसमें 'बांटो और राज करो' के सिद्धांत का बड़ा योगदान रहा जो ब्रिटेन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति भी करता था।





इस प्रकार हमारे धर्म ग्रन्थों के छेड़छाड़,,,,
भेदभाव ।।।
और 
धर्म का कुप्रचार करके हमे बांटा गया।।
हमे एक भगवान, जो कि सबका मालिक एक है उससे  ज्ञान और भक्ति विधि से दूर रखा गया,
लेकिन सच्चाई हमेशा उजागर होके रहती है, देरी हो सकती है, लेकिन अंधेरा नही।।।
भारत की पवित्र भूमि पर समय समय पर, संतो का आगमन होता है, जो कि बढ़ते हुए अधर्म को कम करके मानव धर्म का उत्थान करने आते है।
वो अपने वास्तविक ज्ञान से परिचित करवाकर , कल्याण के मार्ग पर लगाते है,,
अज्ञान से ज्ञान की तरफ और
अंधरे से प्रकाश की तरफ ले जाते है,,,,,
वो सभी मे वापस वैसा ही ज्ञान और सदभाव भर देते है, भगवान की वास्तविक भक्ति विधि बताकर अच्छे संस्कार और अच्छे विचार भर देते है।।

दुबारा दौरा रही हूं
और
सही कहा गया है :::--

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जीव हमारी जाति है,मानव धर्म हमारा।
हिन्दू,मुस्लिम, सिख,ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।।

✍️✍️✍️✍️✍️

वर्तमान में  जगत गुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी ही पूरे विश्व को एक प्रमाणित ज्ञान के धागे में पिरो कर, सत्य के मार्ग पर सबको चलना सीखा रहे है।।।।।



अधिक जानकारी के लिए,
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